फसलों की उत्पादन लागत को कम करने के साथ ही रासायनिक उर्वरकों पर किसानों की निर्भरता कम करने एवं गुणवत्ता युक्त उत्पादन के लिए सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। इस कड़ी में बिहार सरकार द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कृषि सखियों की नियुक्त की जाएगी। इस तरह तरह राज्य में कुल 800 कृषि सखियों का चयन होगा, इन्हें हर माह 16 दिन काम करके गांव-गांव में जाकर किसानों को प्राकृतिक खेती के गुर सिखाने होंगे। इसके लिए इन्हें रोजाना 300 रुपए मानदेय और 200 रुपए यात्रा भत्ता दिया जाएगा।
बिहार के मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि कृषि सखियों का मुख्य कार्य किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करना, पंजीकरण कराना, प्रशिक्षण दिलाना और फसल चक्र के दौरान तकनीकी मार्गदर्शन देना होगा। इन्हें प्रशिक्षित करने के लिए किसान मास्टर प्रशिक्षक कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्र एवं प्राकृतिक खेती संस्थानों की मदद ली जाएगी। कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए इन्हें मोबाइल डिवाइस के लिए सहायता राशि दी जाएगी, ताकि मोबाइल से किसानों को तुरंत सलाह दे सकें।
50 हजार किसानों को दिया जाएगा प्राकृतिक खेती का लाभ
प्राकृतिक खेती के लिए चयनित 400 क्लस्टरों में 7 कार्यक्रम प्रति क्लस्टर यानी कुल 2800 कार्यक्रम होंगे, प्रत्येक कार्यक्रम में 50 प्रतिभागी भाग लेंगे। इन कार्यक्रमों में किसान, पंचायत प्रतिनिधि, कृषि सखियाँ और स्वयं सहायता समूह की महिलाएं हिस्सा लेंगी। इसका उद्देश्य प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन के रूप में विकसित करना हैं।
कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य में 50,000 किसानों को प्राकृतिक खेती योजना का लाभ मिलेगा। इन्हें 4,000 रुपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके तहत अभी 20 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती कराई जाएगी। 266 भारतीय प्राकृतिक जैव-उपादान संसाधन केंद्र की स्थापना की जाएगी। जिससे किसानों को उपादानों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।