देश में विभिन्न फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा नई उन्नत किस्मों का विकास किया जा रहा है ताकि किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके। इस कड़ी में अरहर की पूसा-16 वेरायटी के अध्ययन के लिए एमपी के झाबुआ जिले का चयन किया गया है। जिसको लेकर कलेक्टर नेहा मीना द्वारा केस स्टडी किये जाने हेतु दल का गठन कर तैयारियों के सम्बन्ध में बैठक ली गई।
कलेक्टर ने बताया कि जिले मे इस वर्ष अरहर का लगभग 235 एकड़ रकबा है जिसमें पूसा-16 और परम्परागत बीज दोनों ही प्रकार के बीजों का प्रयोग किया गया है जिससे तुलनात्मक अध्ययन करने में आसानी होगी। कलेक्टर ने बताया कि झाबुआ जिला दो कृषि जलवायु क्षेत्र जोन में आता है, इस प्रकार के अध्ययन से दोनो कृषि जलवायु क्षेत्र का भी तुलनात्मक अध्ययन हो पाएगा। साथ ही इस केस स्टडी का रिसर्च पेपर पब्लिश किया जाएगा।
50-50 किसानों का किया जाएगा चयन
कलेक्टर ने बताया कि अरहर की पूसा-16 वेराएटी के सैद्धान्तिक अध्ययन से प्राप्त जानकारी अनुसार इसका मैच्युरिटी समय 120 दिन है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता है। प्रायोगिक स्तर पर परम्परागत बीज और पूसा-16 की उत्पादकता हेतु तुलनात्मक अध्ययन आवश्यक है। कलेक्टर द्वारा 50-50 किसानों का चयन कर अध्ययन करने हेतु निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि चयनित रकबों की भौगोलिक स्थिति एक जैसी हो जिससे किसी बाह्य कारक का प्रभाव दोनो पर होने से अध्ययन प्रामाणिक हो सके। अध्ययन के लिए आवश्यक प्रश्नावली तैयार की जाएगी। जिसमें व्यक्तिगत किसानों और किसान समूहों के माध्यम से अध्ययन किया जाएगा।
पूसा अरहर 16 किस्म की विशेषताएँ
अरहर की किस्म पूसा अरहर 16 का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली (पूसा) द्वारा किया गया है। अरहर की यह किस्म अभी दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों के लिए अनुशंसित की गई है। यह किस्म खरीफ सीजन में सिंचित अवस्था के लिये उपयुक्त है। पूसा अरहर 16 किस्म 120 दिनों में तैयार हो जाती है। इस किस्म की औसत उपज क्षमता 19.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं अधिकतम उपज क्षमता 21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।