back to top
शुक्रवार, मार्च 29, 2024
होमविशेषज्ञ सलाहसब्जियों की खेती में किस प्रकार करें उर्वरकों का प्रयोग

सब्जियों की खेती में किस प्रकार करें उर्वरकों का प्रयोग

सब्जियों की खेती में किस प्रकार करें उर्वरकों का उपयोग :-सब्जी उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है| भारत में लगभग 80 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में सब्जियों की खेती की जाती है, जिससे लगभग 1350 लाख टन उत्पादन होता है| हिमाचल प्रदेश में किसान टमाटर, शिमला मिर्च, आलू, फ्रासबीन, गोभी, मटर, खीरा आदि सब्जियों की खेती सामान्यतः खुले क्षेत्र में करते हैं| इसके अतिरिक्त पॉलीहाउस में टमाटर, चैरी टमाटर, रगीन शिमला मिर्च, खीरा, पालक, मटर तथा कुछ विदेशी सब्जियों की खेती की जाती है|

मृदा 

पौधों की उपयुक्त वृद्धि के लिए आवश्यक 17 पोषक तत्वों में से 14 पोषक तत्व मृदा से सही अवशोषित किये जाते हैं| अतः मृदा में पोषक तत्वों का प्रबन्धन बहुत आवश्यक है| पौधों के लिए मृदा में विभिन्न पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा में उपलब्धता के लिए उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है| उर्वरक जैविक या रासायनिक पदार्थ हैं जिन्हें मिट्टी में मिलाने पर वर पौधों को एक या अधिक पोषक तत्व उपलब्ध करवाते है| सब्जियों तथा अन्य फसलों में उर्वरकों के संतुलित प्रयोग से उत्पादकता को 40-60% तक बढ़ाया जा सकता है| उच्च गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए भी मृदा में पोषक तत्वों के प्रबन्धन में उर्वरकों का प्रयोग बहुत आवश्यक है|

मृदा की जाँच

उचित मात्रा में उर्वरक प्रयोग से उत्पादन तथा गुणवत्ता बढ़ाकर अधिक आय प्राप्त की जा सकती है| उर्वरकों की उचित मात्रा का आकलन उगाई जाने वाली फसल तथा मृदा में पोषक तत्वों की उपस्थित मात्रा के अनुसार किया जाता है| मृदा की जाँच से उपस्थित पोषक तत्वों की मात्रा का निर्धारण होता है| अतः मृदा की उत्पादन क्षमता बनाये रखने तथा अच्छी गुणवत्ता वाले कृषि उत्पादन के लिए एक या दो साल में एक बार मृदा की जाँच आवश्यक है| अनुचित मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग से मृदा का क्षय, धन हानि तथा पर्यावरण सम्बन्धित समस्याएँ पैदा हो सकती हैं|

सामान्यतः सब्जियों की खेती में पारम्परिक उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है| इनमें से कुछ प्रमुख उर्वरकों के नाम तथा इनमें उपस्थित पोषक तत्वों की मात्रा का विवरण सारणी में दिया गया है|

सब्जियों की खेती में उर्वरक का प्रयोग

प्रमुख उर्वरकों के नाम तथा नाम उपस्थिति पोषक तत्वों की मात्रा

क्र.स. उर्वरक का नाम % पोषक तत्व
नत्रजन फास्फोरस पोटाश
1 यूरिया 46 0 0
2 कौन (किसान खाद) 25 0 0
3 सुपर फास्फेट 0 16 0
4 म्यूरेट ऑफ़ पोटाश 0 0 60
5 इफ्को मिश्रित उर्वरक 12 32 16
यह भी पढ़ें   धान की खेती करने वाले किसान जुलाई महीने में करें यह काम, मिलेगी भरपूर पैदावार

 

उर्वरकों की उचित मात्रा का अनुमान

विभिन्न वर्गों की सब्जियों के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता अलग-अलग होती है| टमाटर, शिमला मिर्च तथा बैंगन वर्गीय सब्जियां मिट्टी से अधिक मात्रा में पोषक तत्व अवशोषित करती हैं| पौधों द्वारा पोषक तत्वों का अवशोषण उनपर लगने वाले फलों की संख्या पर निर्भर करता है| पौधों की अनुवांशिक संरचना तथा पर्यावरण भी इसमें बहुत महत्वपूर्ण कारक हैं| इस वर्ग के पौधों में पोषक तत्वों की कुल अवशोषित मात्रा का 50-70% भाग फल तथा फूल वाले भागों में पाया जाता है तथा इनमें पाई जाने वाली पोषक तत्वों की अधिकतम मात्रा फूल आने के समय पर ही मृदा से अवशोषित की जाती है| फूल आने के दस दिन बाद से लेकर फल पकने शुरू होने के अन्तराल के बीच ही पोषक तत्वों का ज्यादा अवशोषण होता है| अतः इस वर्ग की सब्जियों में उर्वरकों के प्रयोग के समय को ध्यान में रखना चाहिए|

उदाहरणतया, टमाटर की फसल, जिसका उत्पादन 38 टन/हैक्टेयर है, मृदा से लगभग 104 किलोग्राम नत्रजन, 9.5 किलोग्राम फॉस्फोरस तथा 116 किलोग्राम पोटाश अवशोषित करती है| इसी तरह शिमला मिर्च के एक क्विंटल उत्पादन के लिए उत्पादन के लिए लगभग 3-3.5 किलोग्राम नत्रजन, 0.8-10 किलोग्राम फॉस्फोरस तथा 5-6 किलोग्राम पोटाश मृदा से अवशोषित होता है| विभिन्न वर्गों की सब्जियों के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता सारणी में दी गई है तथा इसी से फसल के अनुसार उर्वरकों की उचित मात्रा का अनुमान लगाया जा सकता है|

जैविक खाद 

खुले क्षेत्र में खेत तैयार करते समय गोबर की खाद, सुपर फॉस्फोरस, म्यूरेट ऑफ़ पोटाश तथा कौन की आधी मात्रा को मिट्टी में अच्छी तरह मिलाते हैं| कौन की शेष आधी मात्रा को दो बार, एक-एक मास के अंतराल पर डालते हैं| विभिन्न वर्गों की सब्जियों के लिए उर्वरकों की मात्रा सारणी में दी गई है|

विभिन्न वर्गों की सब्जियों द्वारा पोषक तत्वों का अवशोषण

गोभी वर्गीय सब्जियां

फसल का नाम पैदावार (टन/हैक्टेयर) पोषक तत्वों का अवशोषण (कि.ग्रा./है.)
नत्रजन फॉस्फोरस पोटाश
ब्रोकली 12 206 14 123
फूलगोभी 50 200 35 200
बंदगोभी 70 203 19 112
मूली 12 35 4 33

2.खीरा वर्गीय सब्जियां

खीरा 30 50 18 66
तरबूज 36 78 9 73
स्कवैश 30 107 20 120

3.फलीदार सब्जियां  (फ्रासबीन,मटर इत्यादि)

ब्रौड बीन्ज पौधा 15.0 70 8 57
फलियाँ 2.2 80 13 49
फ्रासबीन पौधा 13.5 68 7 49
फलियाँ 16.0 54 9 40
मटर पौधा 16 106 16 109
फलियाँ 9 58 7 24

4.टमाटर, आलू, शिमला मिर्च इत्यादि

आलू 40 221 27 246
टमाटर 38 104 9.5 116
शिमला मिर्च 28 50 8 56
यह भी पढ़ें   जुलाई महीने में मक्का की खेती करने वाले किसान करें यह काम, मिलेगी भरपूर पैदावार

खुले क्षेत्र में विभिन्न सब्जियों में प्रयुक्त उर्वरकों की मात्रा

क्र. सं. फसल उर्वरकों की मात्रा (किलोग्राम/हैक्टेयर
कैन सुपर फॉस्फोरस म्यूरेट ऑफ़ पोटाश
1 शिमला मिर्च (संकर) 400 475 90
 2 शिमला मिर्च 960 375 90
 3 टमाटर 400 475 90
 4 टमाटर(संकर) 600 750 90
 5 मटर 100 375 100
 6 फ्रासबीन 200 625 85
 7 खीरा 400 315 100
 8 फूलगोभी 500 475 120
 9 बंदगोभी 500 675 85
 10 ब्रोकली 500 475 85

 

उर्वरकों का पर्णीय छिड़काव

पौधों की पोषक तत्वों की अनुपूर्ति के लिए पर्णीय छिड़काव भी की जाता है| फसलों में कुछ पोषक तत्व विशेषकर कैल्शियम, बोरोन त्तथा सूक्ष्म मात्रिक पोषक तत्वों को उपलब्ध करवाने का यह सबसे प्रभावशाली तरीका है| सामान्यतः फसलों द्वारा अवशोषित होने वाले सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता को पत्तों पर छिड़काव द्वारा ही पूरा किया जा सकता है| सब्जियों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए छिड़काव हेतु सामान्यतः 0.1% का घोल प्रयोग किया जाता है|

फसलों पर उर्वरकों के छिड़काव से जलने के निशान भी पड़ सकते हैं, अतः तैयार घोल का परीक्षण करना आवश्यक है| कुछ फसलें जैसे गोभी तथा खीरा वर्गीय फसलें ज्यादा सहनशील होती हैं जबकि बीन तथा मटर आदि फसलें अतिसंवेदनशील श्रेणी में आती हैं| अतिसंवेदनशील फसलों में कम मात्रा के घोल का प्रयोग करना चाहिए| पर्णीय छिड़काव के लिए उपलब्ध उर्वरकों के नाम तथा इनमें उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा सारणी 4 में दिए गए हैं|

जीवांश खादें

इनमें नत्रजन फिक्सिंग, फॉस्फोरस सौल्यूबलाइजर तथा सूक्ष्म जीव  होते हैं जिन्हें बीजों के उपचार, मृदा या मिश्रित खाद में डाला जाता है, जिससे पौधों के लिए पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ जाती है| टमाटर, फ्रासबीन तथा आलू इत्यादि फसलों में जैविक तथा रासायनिक खादों के साथ-साथ, VAM,  एजोटोबैक्टर तथा एजोस्पाइरिलम जैव उर्वरक के रूप में व्यवसायिक रूप से प्रयोग में लाये जा रहे हैं| पोषक तत्व उपलब्ध करवाने के अतिरिक्त यह पौधों के जड़ क्षेत्र में बीमारी फैलाने वाले सूक्ष्म जीवों की संख्या पर व्ही नियंत्रण रखते हैं तथा बीमारियों की व्यापकता को कम करते हैं|

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
यहाँ आपका नाम लिखें

ताजा खबरें

डाउनलोड एप