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किसान अभी कर सकते हैं इन फसलों की बुआई, कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की सलाह

रबी फसलों की कटाई के बाद किसान खाली पड़े खेतों में विभिन्न सब्जी एवं दलहन फसलों की खेती कर अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं। इसको लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली (पूसा) ने दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के लिए सलाह जारी की है। साप्ताहिक मौसम पर आधारित सलाह में बताया गया है कि अभी बारिश की संभावना को देखते हुए अपनी कटी हुई फसलों को ढककर रखें। वहीं जो किसान ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती करना चाहते हैं वे किसान बुआई की तैयारी करें।

पूसा संस्थान द्वारा जारी सलाह में अभी किसानों को मूँग की बुआई के साथ ही फ़्रेंच बीन, सब्जी लोबिया, चौलाई, भिंडी, लौकी, खीरा, मूली, मक्का आदि फसलों की बुआई करने को कहा गया है। इसके साथ ही खेत में लगी विभिन्न फसलों में लगने वाले कीट-रोगों से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही गई है।

किसान अभी मूँग की इन किस्मों की करें बुआई

संस्थान ने किसानों को इस समय मूंग की फसल के उन्नत बीजों की बुआई करने की सलाह दी है। जिसमें किसान अभी पूसा विशाल, पूसा रत्ना, पूसा- 5931, पूसा बैसाखी, पी.डी.एम-11, एस.एम.एल- 32, एस.एम.एल.- 668, सम्राट की बुआई कर सकते हैं। इसके साथ ही किसानों को बुआई से पहले बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से बीजोपचार करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा किसानों को बुआई के समय खेत में आवश्यक नमी हो इस बात को ध्यान में रखने के लिए कहा गया है।

अभी करें इन सब्जी फसलों की बुआई

अभी के मौसम में किसान फ्रेंच बीन (पूसा पार्वती, कोंटेनडर), सब्जी लोबिया (पूसा कोमल, पूसा सुकोमल), चौलाई (पूसा किरण, पूसा लाल चौलाई), भिंण्डी (ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि), लौकी (पूसा नवीन, पूसा संदेश), खीरा (पूसा उदय), तुरई (पूसा स्नेह) आदि तथा गर्मी के मौसम वाली मूली (पूसा चेतकी) की सीधी बुआई कर सकते हैं। संस्थान के मुताबिक़ अभी इन फसलों की बुआई के लिए तापमान अनुकूल है, इसके साथ ही अंकुरण के लिए भी यह तापमान उपयुक्त हैं। किसान उन्नत किस्म के बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से लेकर बुवाई करें साथ ही बुआई के समय खेत में आवश्यक नमी को बनाकर रखें।

इसके अतिरिक्त किसान इस तापमान में मक्का चारे के लिए (प्रजाति– अफरीकन टाल) तथा लोबिया की बुवाई कर सकते है। किसान बेबी कॉर्न की एच.एम.-4 किस्म की भी बुवाई इस समय की जा सकती हैं।

सरसों एवं तोरिया फसल की करें कटाई

संस्थान द्वारा जारी सलाह में बताया गया है कि पूरी तरह से पकी हुई तोरिया या सरसों की फसलों को जल्द से जल्द काट लें। 75-80 प्रतिशत फली का रंग भूरा होना ही फसल पकने के लक्षण हैं। फलियों के अधिक पकने की स्थिति में दाने झड़ने की संभावना होती है। अधिक समय तक कटी फसलों को सुखने के लिए खेत पर रखने से चितकबरा बग से नुकसान होता है अतः वे जल्द से जल्द गहाई करें। गहाई के बाद फसल अवशेषों को नष्ट कर दें, इससे कीट की संख्या को कम करने में मदद मिलती है।

फसलों को कीट रोगों से बचाने के लिए करें यह उपाय

किसान अभी टमाटर, मटर, बैंगन व चना फसलों में फलों/ फल्लियों को फल छेदक/फली छेदक कीट से बचाव के लिए खेत में पक्षी बसेरा लगाए एवं कीट से नष्ट फलों को इकट्ठा कर जमीन में दबा दें। साथ ही फल छेदक कीट की निगरानी के लिए 2-3 फिरोमोन प्रपंच प्रति एकड़ की दर से लगाएं। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो बी.टी. 1.0 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें फिर भी प्रकोप अधिक हो तो 15 दिन बाद स्पिनोसैड कीटनाशी 48 ई.सी. 1 मि.ली./4 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।

वहीं इस मौसम में बेलवाली सब्जियों और पछेती मटर में चूर्णिल आसिता रोग के प्रकोप की संभावना रहती है। यदि रोग के लक्षण दिखाई दे तो कार्बेन्डाज़िम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।

किसान इस मौसम में समय से बोयी गई बीज वाली प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें। बीज फसल में परपल ब्लोस रोग की निगरानी करते रहें। रोग के लक्षण अधिक पाये जाने पर आवश्यकतानुसार डाईथेन एम-45 2 ग्रा. प्रति लीटर पानी की दर से किसी चिपचिपा पदार्थ (स्टीकाल, टीपाल आदि) के साथ मिलाकर छिड़काव करें। वहीं किसान आम तथा नींबू में फूल आने के दौरान सिंचाई ना करें तथा मिलीबग व होपर कीट की निगरानी करते रहें।

किसान गर्मी के सीजन में लगायें भिंडी की यह अधिक पैदावार देने वाली किस्में

सब्जियों में भिंडी का एक महत्वपूर्ण स्थान है, लोकप्रिय सब्जी होने के चलते देश में इसकी माँग वर्ष भर रहती है जिससे किसानों को इसके अच्छे भाव मिल जाते हैं। सब्जी की खेती करने वाले अधिकतर किसान भिंडी की फसल उगाकर कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं। वैसे तो गर्मियों के सीजन में भिंडी की बुआई 15 फरवरी से 15 मार्च तक की जाती है पर कई किसान इसकी अगेती किस्मों की बुआई जनवरी अंत में एवं पिछेती किस्मों की बुआई मार्च अंत तक भी कर सकते हैं।

भिंडी की खेती के लिए बलुई दोमट व दोमट मृदा जिसका पीएच मान 6.0 से 6.8 हो में की जाती है। भिंडी की खेती के लिए सिंचाई की सुविधा के साथ ही जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। ग्रीष्मकालीन मौसम में भिंडी की बुआई 15 फरवरी से 20 मार्च तक करना उपयुक्त रहता है लेकिन इसके बाद तक भी किसान इसकी बुआई कर सकते हैं।

ग्रीष्मकालीन भिंडी की उन्नत किस्में

देश में विभिन्न कृषि संस्थानों के द्वारा अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों के लिए भिंडी की अलग-अलग किस्में विकसित की गई है। किसान इन किस्मों में से अपने क्षेत्र के लिए अनुकूल किसी भी उन्नत किस्म के बीजों का चयन कर सकते हैं। किसान गर्मियों में ग्रीष्मकालीन भिंडी की उन्नत किस्में जैसे पूसा ए-5, पूसा सावनी, पूसा मखमली, बी.आर.ओ.-4, उत्कल गौरव और वायरस प्रतिरोधी किस्में जैसे पूसा ए-4, परभणी क्रांति, पंजाब-7, पंजाब-8, आजाद क्रांति, हिसार उन्नत, वर्षा उपहार, अर्का अनामिका आदि की खेती कर सकते हैं।

गर्मी में कैसे करें भिंडी की बुआई

बीज की मात्रा बुआई के समय एवं दूरी पर निर्भर करती है। ग्रीष्मकालीन भिंडी की बुआई के लिए 20-22 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। बीज की बुआई सीड ड्रिल से या हल की सहायता के द्वारा गर्मियों में 45X20 से.मी. की दूरी पर की जा सकती है। वहीं बीज की गहराई लगभग 4.5 से.मी. रखनी चाहिए। बुआई से पहले अच्छी तरह सड़ी गोबर या कम्पोस्ट खाद लगभग 20-25 टन प्रति हेक्टेयर अच्छी तरह से मिट्टी में मिला देनी चाहिए।

वहीं पोषक तत्वों के रूप में बुआई के समय नाइट्रोजन 40 किलोग्राम की आधी मात्रा, 50 किलोग्राम फास्फोरस एवं 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से अंतिम जुताई के समय प्रयोग करें तथा आधी बची हुई नाइट्रोजन की मात्रा फसल में फूल आने की अवस्था में छिड़काव करना चाहिए।

भिंडी की फसल में सिंचाई कब करें?

यदि भूमि में अंकुरण के समय पर्याप्त नमी न हो तो बुआई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें। सिंचाई मार्च के महीने में 10-12 दिनों के अंतराल पर, अप्रैल में 7-8 दिनों के अन्तराल पर एवं मई-जून के महीने में 4-5 दिनों के अंतराल पर करना उचित रहता है।

मौसम चेतावनी: 29 से 31 मार्च के दौरान इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

Weather Update: 29 से 31 मार्च के लिए वर्षा का पूर्वानुमान

देश में तेज गर्मी का दौर शुरू हो गया है, इस बीच मौसम एक बार फिर से करवट लेने वाला है। आने वाले दिनों में देश के कई हिस्सों में तेज गर्मी के साथ ही कई स्थानों पर बारिश एवं ओलावृष्टि होने की संभावना है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD की मानें तो देश में एक नया पश्चिमी विक्षोभ WD सक्रिय होने जा रहा है इसके साथ ही एक चक्रवाती संचरण बिहार और दक्षिणी असम क्षेत्र में बना हुआ है। जिसके प्रभाव से देश उत्तर भारतीय राज्यों के साथ ही मैदानी क्षेत्रों में बारिश हो सकती है। वहीं पूर्व-उतर राज्यों भारी बारिश होने का अनुमान है।

मौसम विभाग की मानें तो मौजूदा सिस्टम के चलते पूर्वोत्तर राज्यों, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड, बिहार, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, गिलगित, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्यों में 28 से 31 मार्च के दौरान अनेक स्थानों पर तेज हवाओं के साथ बारिश हो सकती है। वहीं कुछ इलाक़ों में ओलावृष्टि के साथ ही हिमालयी क्षेत्रों में बर्फवारी होने की भी संभावना है।

मध्यप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश

मौसम विभाग के भोपाल केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 29 से 30 मार्च के दौरान राज्य के रायसेन, नर्मदापुरम, नीमच, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, श्योंपुर कला, सीधी, रीवा, मऊगंज, सतना, अनुपपुर, शहडोल, उमरिया, डिंडोरी, सिवनी, बालाघाट, पन्ना, दमोह, सागर, छत्तरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, मैहर एवं पांडुरना जिलों में अलग-अलग दिनों के दौरान तेज हवाओं एवं गरज-चमक के साथ बारिश हो सकती है। वहीं कुछ हिस्सों में ओला वृष्टि की भी संभावना है।

राजस्थान के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

मौसम विभाग के जयपुर केंद्र के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार 29 से 30 मार्च के दौरान राज्य के अलवर, बारां, भरतपुर, धौलपुर, झालवाड़, झुंझुनू, कोटा, सीकर, बीकानेर, चूरु, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जोधपुर, नागौर एवं श्री गंगानगर जिलों में अनेक स्थानों पर तेज हवाएँ चलने की संभावना है। इसके साथ ही इन जिलों में कई जगहों पर गरज-चमक के साथ बारिश हो सकती है।

पंजाब एवं चंडीगढ़ के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

मौसम विभाग के चंडीगढ़ केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 29 से 31 मार्च के दौरान राज्य के पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरण-तारण, होशियारपुर, नवांशहर, कपूरथला, जालंधर, फिरोजपुर, फाजिल्का, फरीदकोट, मुक्तसर, मोगा, भटिंडा,  लुधियाना, बरनाला, मनसा, संगरूर, मलेरकोटला, फतेहगढ़ साहिब, रूपनगर, पटियाला एवं सासनगर जिलों में कई जगहों पर तेज हवाओं के साथ ही गरज चमक के साथ बारिश हो सकती है। वहीं कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि की भी संभावना है।

वहीं इस दौरान हरियाणा राज्य के चंडीगढ़, पंचकुला, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, झज्झर, गुरुग्राम, मेवात, पलवल, फरीदाबाद, रोहतक, सोनीपत, पानीपत, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जिंद, भिवानी एवं चरखी दादरी जिलों में कई जगहों पर तेज हवाओं के साथ ही बारिश एवं ओलावृष्टि होने की संभावना है।

उत्तर प्रदेश के इन ज़िलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

मौसम विभाग के लखनऊ केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 29 से 31 मार्च के दौरान राज्य के आगरा, मथुरा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, अलीगढ़, हाथरस, बरेली, बंदायु, पीलभीत, चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, महोबा, झाँसी, जालौन, ललितपुर, कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, मेरठ, बागपत, बुलन्दशहर, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़, मिर्ज़ापुर, सोनभद्र, मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, संभल, प्रयागराज, फतेहपुर, कौशांबी, सराहनपुर, मुजफ्फर नगर एवं शामली जिलों में अनेक स्थानों पर तेज हवाओं के साथ ही गरज चमक एवं बारिश होने की संभावना है।

झारखंड एवं बिहार के इन जिलों में हो सकती है बारिश

मौसम विभाग के राँची केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 29 से 31 मार्च के दौरान झारखंड राज्य के राँची, बोकारो, गुमला, हजारीबाग, खूँटी, रामगढ़, पूर्वी–सिंघभूमि, पश्चिमी–सिंघभूमि, सिमडेगा, सरायकेला, खरसावाँ, पलामू, गढ़वा, चतरा, कोडरमा, लातेहार, लोहरदगा, देवघर, धनबाद,  गिरडीह एवं जामतारा  ज़िलों में अलग-अलग दिनों के दौरान कई स्थानों पर तेज हवाओं के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।

वहीं मौसम विभाग के पटना केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 30 मार्च के दिन बक्सर, भोजपुर, रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद, अरवल, पटना, गया, नालंदा, बेगूसराय, लखी सराय एवं जहानाबाद जिलों में कुछ स्थानों पर तेज हवाओं एवं गरज चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।

महाराष्ट्र के इन जिलों में हो सकती है बारिश

मौसम विभाग के मुंबई केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 28 से 30 मार्च के दौरान राज्य के अहमदनगर, शोलापुर, बीड,  नांदेड, लातूर, धाराशिव, भंडारा, चन्द्रपुर, गढ़चिरौली, नागपुर एवं वर्धा जिलों अनेक स्थानों पर तेज हवाएँ (30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा) चलने की संभावना है। साथ ही अनेक स्थानों पर गरज चमक के साथ हल्की से मध्यम वर्षा होने की भी संभावना है।

छत्तीसगढ़ के इन जिलों में हो सकती है बारिश

मौसम विभाग के रायपुर केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 30 से 31 मार्च के दौरान राज्य के जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, पेंड्रा रोड, बिलासपुर, मूंगेली, कोरबा, रायपुर, दुर्ग, बालोद, बेमतारा, कबीरधाम एवं राजनंदगाँव जिलों में कहीं-कहीं तेज हवाएँ (30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा) चलने की संभावना है। साथ ही अनेक स्थानों पर गरज चमक के साथ हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है।

किसान अधिक मुनाफे के लिए इस गर्मी के मौसम में लगाएं सूरजमुखी की यह नई उन्नत किस्में

देश के कई हिस्सों में किसान अतिरिक्त आमदनी के लिए रबी सीजन के बाद गर्मी में खाली पड़े खेतों में मूँग, उड़द सहित अन्य फसलों की खेती करते हैं। इसके साथ ही सरकार भी किसानों को गर्मी के मौसम में ग्रीष्मकालीन फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित भी कर रही है। ऐसे में किसान अधिक मुनाफे के लिये तिलहन क्षेत्र की महत्वपूर्ण फसल सूरजमुखी की खेती कर सकते हैं।

सूरजमुखी एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। बेहतर मुनाफा देने वाली इस फसल को नकदी खेती के रूप में किया जाता है। सूरजमुखी देखने में जितना खूबसूरत होता है, स्वास्थ्य के लिए उससे कहीं ज्यादा फायदेमंद भी होता है। इसके फूलों व बीजों में कई औषधीय गुण छिपे होते हैं। सूरजमुखी के बीज में खाने योग्य तेल की मात्रा 48 से 53 प्रतिशत तक होती है। इसकी खेती किसी भी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। सामान्यतः किसानों को गर्मी के मौसम में 15 मार्च तक इसकी बुआई कर देनी चाहिए पर किसान जल्दी तैयार होने वाले क़िस्मों की बुआई इसके बाद तक भी कर सकते हैं।

यह हैं सूरजमुखी की उन्नत किस्में

देश में विभिन्न कृषि संस्थानों के द्वारा अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों के लिए सूरजमुखी की अलग- अलग किस्में विकसित की गई है। किसान इन किस्मों में से अपने क्षेत्र के लिए अनुकूल किसी भी उन्नत किस्म के बीजों का चयन कर सकते हैं। इन किस्मों में सूरज मुखी की उन्नत संकर किस्में जैसे बी.एस.एच. -1, एल.एस.एच -1, एल.एस.एच -3, के.वी.एस.एच.-1, के.वी.एस.एच.-41, के.वी.एस.एच.-42, के.वी.एस.एच.-44, के.वी.एस.एच.-53, के.वी.एस.एच.-78, डी.आर.एस.एच. -1, एम.एस.एफ.एच.-17, मारुति, पी.एस.एफ.एच.-118, पी.एस.एफ.एच.- 569, सूर्यमुखी, एस.एच.-332, पी.के.वी.एस.एच. -27, डी.एस.एच.-1, टी.सी.एस.एच.-1 एवं एन.डी.एस.एच.-1 आदि शामिल है।

किसान संकर प्रजाति के लिए 5 से 6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा संकुल प्रजाति का स्वस्थ्य बीज 12 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज का उपयोग बुआई के लिए कर सकते हैं। बुआई से पहले बीज को कार्बेंडाजिम की 2 ग्राम अथवा थीरम की 2.5 ग्राम मात्रा से बीज का उपचार करना चाहिए।

सूरजमुखी में कितना खाद डालें

सामान्यतः सूरजमुखी की फसल में उर्वरक का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए। मृदा परीक्षण न होने की दशा में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश एवं 200 किलोग्राम जिप्सम प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के समय कुंडों में डालें। इसकी बुआई के 15-20 दिनों बाद खेत से अवांछित पौधों को निकालकर पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी कर लें और उसके बाद सिंचाई करें। इसके साथ ही किसान सूरजमुखी व उड़द की अंतर्वर्ती खेती कर सकते हैं इसके लिए सूरजमुखी की दो पंक्तियों के बीच उड़द की दो से तीन पंक्तियाँ लेना उत्तम रहता है।

जल्द शुरू होगी प्याज की सरकारी खरीद, किसानों को मिलेंगे प्याज के अच्छे भाव

प्याज की खेती करने वाले किसानों के लिए राहत भरी खबर आई है। केंद्र सरकार जल्द ही देश के किसानों से रबी सीजन के प्याज की खरीद शुरू करने जा रही है। केंद्र सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (एनएएफईडी) को बफर स्टॉक के लिए सीधे किसानों से 5 लाख टन प्याज की खरीदी शुरू करने के लिए कहा है। रबी सीजन की प्याज मंडियों में आना शुरू हो गई है वहीं प्याज निर्यात पर जारी प्रतिबंध के कारण किसानों को उचित दाम मिल सके इसके लिए सरकार ने प्याज की सरकारी खरीद शुरू करने का निर्णय लिया है।

केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि अगले दो-तीन दिनों में 5 लाख टन रबी प्याज़ की खरीद शुरू की जाएगी। आमतौर पर सरकार बफर स्टॉक के लिए प्रचलित मंडी भाव पर ही प्याज की खरीदती है। ऐसे में सरकार द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यदि प्याज के भाव किसानों की लागत मूल्य से भी नीचे चला जाता है तो कम से कम किसानों को लागत मिल सके इस बात का ध्यान रखा जाएगा।

रबी सीजन में अधिक होता है प्याज का उत्पादन

देश के वार्षिक प्याज उत्पादन में रबी प्याज की हिस्सेदारी 72 से 75 फीसदी तक होती है। साथ ही खरीफ प्याज़ की तुलना में रबी प्याज की शेल्फ लाइफ भी अधिक है और इसे नवम्बर-दिसंबर तक स्टोर किया जा सकता है, इसलिए साल भर प्याज़ की उपलब्धता बनाये रखने के लिए रबी सीजन का प्याज महत्वपूर्ण है। केंद्र सरकार ने 2023-24 (अप्रैल-मार्च) सीजन में 6.4 लाख टन प्याज खरीदा था, जिसमें जून में शुरू हुए रबी फसल की 5 लाख टन प्याज भी शामिल थी। इसमें से केवल 25 हजार टन प्याज ही बफर स्टॉक में है, जबकि शेष प्याज को बाजार में बेचा जा चुका है।

किसानों को करना होगा पंजीयन

साल 2023-24 में केंद्र सरकार ने रबी एवं खरीफ दोनों सीजन में बाफ़र स्टॉक के लिए 6.4 लाख टन प्याज़ की खरीद की थी। पिछले साल जून में प्याज की खरीद शुरू की थी लेकिन इस वर्ष सरकार पहले से ही किसानों से प्याज खरीदने जा रही है। प्याज खरीद के लिये भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (एनएएफईडी) को किसानों का पंजीकरण कराना होगा ताकि किसानों को भुगतान प्रत्यक्ष लाभ अंतरण DBT के माध्यम से उनके बैंक खातों में भेजा जा सके।

मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि अभी महाराष्ट्र में प्याज़ की औसत मंडी (थोक) कीमतें 13 से 15 रुपये प्रति किलोग्राम है जो पिछले वर्ष से लगभग दोगुनी हैं। फिर भी सरकार ने हस्तक्षेप करने का फैसला लिया है ताकि किसानों को नुकसान न उठाना पड़े। सरकार ने कभी भी लागत से कम कीमतों पर किसानों से प्याज नहीं खरीदा है। पिछले रबी सीजन में औसतन 17 रुपये प्रति किलोग्राम के रेट पर प्याज खरीदा गया था।

प्याज उत्पादन में आई गिरावट

कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2023-24 में प्याज का उत्पादन लगभग 254.73 लाख टन होने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल यह लगभग 302.08 लाख टन था। प्याज उत्पादन में गिरावट का यह लगातार दूसरा साल है। साल 2021-22 में प्याज का उत्पादन 316.87 लाख टन था। इस साल रबी सीजन में प्याज का उत्पादन 193 लाख टन रहने का अनुमान है जो के साल पहले 236 लाख टन रहा था। पिछले दो सालों में प्याज उत्पादन में लगभग 19 फीसदी की गिरावट आई है।

इन देशों में प्याज के निर्यात को दी गई मंजूरी

केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि सरकार ने उन पड़ोसी देशों को निर्यात की अनुमति दे दी है जो अपनी घरेलू खपत आवश्यकताओं के लिए भारत पर निर्भर हैं। सरकार ने भूटान (550 मीट्रिक टन), बहरीन (3,000 मीट्रिक टन), मॉरीशस (1,200 मीट्रिक टन), बांग्लादेश (50,000 मीट्रिक टन) और संयुक्त अरब अमीरात (14,400 मीट्रिक टन यानी 3,600 मीट्रिक टन/तिमाही) को प्याज के निर्यात की अनुमति दी है।

मुर्गी पालन फार्म खोलने के लिए सरकार दे रही है 40 लाख रुपये तक की सब्सिडी, यहाँ करना होगा आवेदन

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार पशुपालन के साथ-साथ मुर्गी पालन को बढ़ावा दे रही है ताकि मांस एवं अंडे के उत्पादन को भी बढ़ाया जा सके। इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं जिसके तहत मुर्गी पालन फार्म खोलने के लिए भारी सब्सिडी दी जाती है। ऐसी ही एक योजना बिहार सरकार द्वारा चलाई जा रही है। जिसके लिये पशुपालन विभाग द्वारा आवेदन माँगे गये हैं।

दरअसल बिहार सरकार राज्य में सात निश्चय-2 के तहत लेयर मुर्गी पालन को बढ़ावा देने हेतु अनुदान की योजना चला रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में निजी क्षेत्र में अंडा उत्पादन करने हेतु 10,000 एवं 5,000 क्षमता वाले लेयर मुर्गी फ़ार्म की संख्या में वृद्धि के साथ–साथ अंडा उत्पादन में वृद्धि करना है। इसके साथ ही राज्य को अंडा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना एवं राज्य में अंडा उत्पादन से पशुजन्य प्रोटीन (अंडा) की उपलब्धता तथा लाभकारी रोजगार के अवसर उपलब्ध करना है।

लेयर मुर्गी पालन के लिए कितना अनुदान दिया जाएगा?

पशुपालन विभाग बिहार सरकार द्वारा इस वर्ष राज्य में 10,000 लेयर वाले 31 मुर्गी फार्म एवं 5,000 लेयर वाले 46 मुर्गी पालन फार्म खोले जाने का लक्ष्य रखा गया है। योजना के तहत अलग-अलग वर्ग के व्यक्तियों को अलग-अलग सब्सिडी दिये जाने का प्रावधान किया गया है। योजना के अन्तर्गत 10 हजार एवं 5 हजार लेयर मुर्गी की क्षमता, फीड मिल सहित वाले लेयर मुर्गी पालन फार्म की स्थापना के लिए सामान्य जाति के लाभार्थी को 30 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।

LAYER MURGI FARM DETAILS
लेयर मुर्गी पालन फार्म अनुदान योजना की जानकारी

लाभार्थी व्यक्ति को लेयर मुर्गी पालन को बढ़ावा देने हेतु अनुदान की योजना के अंतर्गत मुर्गी फ़ार्म की स्थापना के लिए बैंक से ऋण भी ले सकते हैं। जिस पर भी सरकार द्वारा बैंक ऋण पर लगने वाले ब्याज पर भी 50 प्रतिशत का अनुदान लाभार्थी को दिया जाएगा।

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज

10 हजार एवं 5 हजार लेयर मुर्गी क्षमता फीड मिल सहित लेयर मुर्गी फार्म खोलने के लिए राज्य के किसान 28 मार्च 2024 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के समय आवेदक को निम्न दस्तावेज अपने पास रखने होंगे।

  • आवेदक का फोटोग्राफ
  • आधार कार्ड की छाया प्रति
  • आवासीय प्रमाण पत्र
  • जाति प्रमाणपत्र (केवल SC/ST के लिए अनिवार्य है)
  • बैंक खाता पास बुक की छाया प्रति
  • पेनकार्ड की छाया प्रति
  • भूमि की उपलब्धता का साक्ष्य
  • नजरी नक्शा
  • आवेदन के समय आवेदक के पास वांछित राशि की छाया प्रति
  • लीज/निजी/पैतृक भूमि का ब्यौरा की छाया प्रति
  • पोल्ट्री फार्मिंग का प्रशिक्षण संबंधी साक्ष्य

लेयर मुर्गी पालन फार्म पर अनुदान के लिए आवेदन कहाँ करें?

योजना के अंर्तगत लाभ प्राप्त करने हेतु इच्छुक व्यक्ति को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके लिए विभागीय वेबसाइट state.bihar.gov.in/ahd पर जाकर आधार संख्या/ वोटर कार्ड संख्या की मदद से पंजीकरण किया जा सकता है। ऑनलाइन आवेदन पत्र भरते समय सभी वांछित कागजातों को ऑनलाइन अपलोड करना अनिवार्य होगा। ऑनलाइन आवेदन करने से पहले ही आवेदक सभी वांछित दस्तावेजों को स्कैन कराकर pdf फ़ारमेट में सॉफ्ट कॉपी तैयार करके रख लें।

ऑनलाइन आवेदन जमा करने के बाद आवेदक को एक प्राप्ति रसीद मिलेगी, जिसमें आवेदन आई.डी. के साथ उनके द्वारा जमा किए गए सभी कागजातों की प्राप्ति अंकित होगी। प्राप्ति रसीद में अंकित आईडी/ आधार संख्या/ वोटर कार्ड संख्या एवं पासवर्ड से लॉगिन कर आवेदन की स्थिति की जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। आवेदक को आवेदन के साथ विस्तृत परियोजना (Detail Project Report) प्रस्ताव संलग्न करना होगा। योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए अपने ज़िले के पशुपालन कार्यालय में संपर्क करें।

सब्सिडी पर लेयर मुर्गी फार्म खोलने के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें

किसान गर्मी के मौसम में लगायें उड़द की यह नई उन्नत किस्में, मिलेगी भरपूर उपज

देश के कई राज्यों में जहां किसानों के पास सिंचाई की उपयुक्त सुविधा मौजूद है वहाँ किसान रबी फसलों की कटाई के बाद अपने खेतों में मूँग एवं उड़द फसलों की खेती कर सकते हैं। गर्मी के मौसम में इन फसलों की खेती से किसानों को जहां अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होगी वहीं इससे देश को दलहन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद मिलेगी। ऐसे में जो किसान ग्रीष्मकालीन उड़द की खेती करना चाहते हैं उन्हें उपयुक्त किस्मों का चयन करना चाहिए ताकि कम लागत में अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सके।

वैसे तो देश के अधिकांश क्षेत्रों में उड़द की बुआई का उपयुक्त समय 15 फरवरी से 15 मार्च तक ही है, पर किसान जल्द तैयार होने वाली किस्मों की बुआई इसके बाद तक भी कर कर सकते हैं। अच्छी पैदावार तथा गुणवत्ता युक्त उत्पादन लेने के लिए अच्छी प्रजाति का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है इसलिए जल के साधन, फसल चक्र व बाजार की माँग की स्थिति को ध्यान में रखकर ही किसानों को उपयुक्त प्रजाति का चयन करना चाहिए।

ग्रीष्मकालीन उड़द की किस्में कौन सी हैं?

देश में विभिन्न कृषि संस्थानों के द्वारा अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों के लिए उड़द की अलग- अलग किस्में विकसित की गई है। किसान इन किस्मों में से अपने क्षेत्र के लिए अनुकूल किसी भी उन्नत किस्म के बीजों का चयन कर सकते हैं। इन किस्मों में पीडीयू 1 (बसंत बहार), के.यू.जी. 479,  मूलुन्द्र उड़द 2 ( केपीयू 405), कोटा उड़द 4 (केपीयू 12-1735), कोटा उड़द 3 (केपीयू 524-65), इंदिरा उड़द प्रथम, हरियाणा उड़द-1 (यूएच  उड़द 04-06), शेखर 1, उत्तरा, आजाद उड़द 1, शेखर 2, शेखर 3, पंत उड़द 31,  पंत उड़द 40, आईपीयू -2-43, डब्ल्यू.बी.यू. 108, डब्ल्यू.बी.यू. 109 (सुलता), माश 1008, माश 479, माश 391 एवं सुजाता आदि शामिल हैं।

किसान बुआई के लिए बीज के आकार, खेत में नमी की स्थिति, बुआई का समय, पौधों की पैदावार तथा उत्पादन तकनीक के अनुसार प्रति हेक्टेयर बीज का उपयोग कर सकते हैं। सामान्यतः ग्रीष्मकालीन उड़द की बुआई के लिए 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है। जायद में किसानों को उड़द की बुआई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। बीज की बुआई कुंडों में या सीड ड्रील से पंक्तियों में की जानी चाहिए तथा बीजों को 4-5 सेंटीमीटर की गहराई में बोना चाहिए।

बुआई के समय कितना खाद डालें

उड़द की फसल में बुआई के समय 15 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर, 45 किलोग्राम फ़ास्फ़ोरस प्रति हेक्टेयर एवं गंधक 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से कुंडों में देना चाहिए। इसके अलावा नवीनतम शोधों के अनुसार यह सिद्ध हुआ है कि 2 प्रतिशत यूरिया के घोल का पत्तियों पर छिड़काव यदि फली बनने की अवस्था में किया जाए तो इससे उपज में अधिक वृद्धि होती है।

थ्रेशर से गेहूं एवं भूसा निकालते समय किसान इन बातों का रखें ध्यान, नहीं होगी कोई परेशानी

आज भी देश में अधिकांश किसानों के द्वारा गेहूं की मड़ाई थ्रेशर के द्वारा की जाती है। बता दें कि बालियों या फली से दोनों को अलग करने की प्रक्रिया को ही मढ़ाई कहा जाता है। थ्रेशर से मड़ाई तथा ओसाई दोनों काम एक साथ किए जाते हैं। थ्रेशर में कई प्रकार की छलनियों का प्रयोग किया जाता है इससे भूसा और अनाज अलग-अलग हो जाते हैं। थ्रेशर से मड़ाई करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बहुत ही कम समय एवं कम खर्च में काम हो जाता है।

थ्रेशर मशीन कई हिस्सों से मिलकर बनी होती है जिसके अलग-अलग कार्य होते हैं। यह सभी हिस्से लोहे के बने एक फ्रेम पर लगे होते हैं। इनमें फीडिंग इकाई, मड़ाई करने वाली इकाई, अनाज और भूसा अलग करने वाली इकाई, अनाज साफ करने वाली इकाई, अनाज भरने और तोलने वाली इकाई एवं शक्ति स्थानांतरण इकाइयाँ प्रमुख हैं। इन सभी इकाइयों के काम अलग-अलग होते हैं। जिनकी मदद से थ्रेशरिंग का पूरा काम किया जाता है।

किसान गेहूं से दाना निकालते समय रखें यह सावधानियाँ

किसानों को थ्रेशर मशीन के इस्तेमाल में कई प्रकार की सावधानियां बरतने की जरूरत होती है ताकि कम लागत में अधिक से अधिक काम किया जा सके और गुणवत्तापूर्ण उपज प्राप्त की जा सके।

  • मड़ाई के लिये किसानों को थ्रेशर समतल भूमि पर, जमीन में खोदकर/खूँटियों की सहायता से रखनी चाहिए।
  • मशीन की दिशा बहने वाली हवा की दिशा के अनुकूल होना चाहिए।
  • गेहूं के बण्डलों को समान रूप से थ्रेशर में डालना चाहिए, जिससे मशीन की कार्य क्षमता बढ़ जाती है।
  • मशीन में गेहूं के बंडल डालते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि फसल के साथ कोई लकड़ी या लोहे के टुकड़े न हो।
  • छिद्रों की समय-समय पर जाँच एवं उनकी सफाई करनी चाहिए।
  • बीयरिंग्स एवं अन्य काम करने वाले पुर्ज़ों पर ग्रीस/तेल लगा देना चाहिए ताकि उनमें चिकनाहट बनी रहे।
  • फीडिंग करते समय ऑपरेटर को फीडिंग ट्रफ में ज्यादा अंदर तक हाथों को नहीं डालें।
  • 8-10 घंटे लगातार काम कर लेने पर मशीन को पुनः काम में लगाने के पूर्व थोड़ा आराम देना चाहिए।
  • जब थ्रेशिंग का काम खत्म हो जाता है। उसके बाद भी कुछ देर तक मशीन को खाली अवस्था में ही चलाते रहें, इससे अंदर जो भी अवशेष बचा होता है वह साफ हो जाता है
  • थ्रेशर में यदि दाना टूट रहा हो, तो सिलेंडर के चक्कर की संख्या प्रति मिनट कम कर देनी चाहिए और कॉन्केव/ सिलेंडर के बीच की दूरी बढ़ानी चाहिए।
  • थ्रेशिंग सीजन की समाप्ति के बाद मशीन जब प्रयोग में नहीं आती है, तब सभी बेल्ट्स को हटा देना चाहिए एवं मशीन को ढकी हुई जगह पर रख देना चाहिए।
  • सिलेण्डर के स्पाइक/हैमर के घिस जाने पर उनको तुरंत बदलना अनिवार्य है।

प्याज गोदाम बनाने के लिए सरकार दे रही है 75 प्रतिशत की सब्सिडी, किसान यहाँ करें आवेदन

किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम मिल सके इसके लिए आवश्यक है कि वे फसल की कटाई के बाद उसका कुछ समय तक भंडारण कर सकें ख़ासकर प्याज जैसी नश्वर फसलों का जो जल्दी खराब हो जाती है। ऐसे में किसान प्याज के भंडारण के लिए अपना गोदाम बना सके इसके लिए सरकार द्वारा उन्हें आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है। इस कड़ी में उद्यानिकी विभाग बिहार सरकार द्वारा राज्य के किसानों को प्याज भंडारण के लिए गोदाम निर्माण पर सब्सिडी के लिए आवेदन माँगे गये हैं।

दरअसल बिहार सरकार द्वारा राज्य के किसानों को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत प्याज भंडारण इकाई (50MT) की योजना 2024-25 के लिए सब्सिडी दे रही है। इसके लिए राज्य के चयनित जिलों के किसान ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

प्याज भंडारण के लिए गोदाम बनाने पर कितनी सब्सिडी मिलेगी?

उद्यानिकी विभाग बिहार सरकार द्वारा राज्य के किसानों को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत प्याज भंडारण इकाई (50MT) बनाने के लिए सब्सिडी दे रही है। प्याज के उपयुक्त भंडारण संरचना का निर्माण कराया जायेगा। इस हेतु 50 मिट्रिक टन क्षमता की प्याज भंडारण संरचना का मॉडल की अनुमानित लागत 6 लाख रुपये रखी गई है। जिस पर लाभार्थी किसानों को 75 प्रतिशत अधिकतम 4 लाख 50 हजार रुपये की राशि अनुदान के तौर पर दी जाएगी।

किसानों को यह राशि भंडारण संरचना के निर्माण के बाद संबंधित जिले के सहायक निदेशक उद्यान द्वारा सत्यापित किए जाने के बाद ही दी जाएगी। प्याज भंडारण का उपयुक्त Model Estimate उद्यान निदेशालय द्वारा तैयार कराया जाएगा, जिस पर सक्षम प्राधिकार से अनुमोदन उपरांत प्याज भंडारण संरचना का निर्माण किया जा सकेगा। प्याज भंडारण संरचना का नक्शा किसान ऑनलाइन विभागीय पोर्टल से भी डाउनलोड कर सकते हैं।

यह किसान कर सकते हैं प्याज गोदाम के लिए आवेदन

उद्यानिकी विभाग बिहार सरकार द्वारा प्याज भंडारण के लिए अनुदान योजना को 23 जिलों में लागू किया गया है। इनमें राज्य के भोजपुर, बक्सर, जहानाबाद, कैमूर, लखीसराय, नवादा, सारण, शेखपुरा, सिवान, औरंगाबाद, बाँका, बेगूसराय, भागलपुर, गया, खगड़िया, मधुबनी, मुंगेर, नालंदा, पटना, पूर्णिया, रोहतास, समस्तीपुर एवं वैशाली जिले शामिल हैं। इन जिलों के किसान प्याज भंडारण के लिए गोदाम निर्माण हेतु आवेदन कर सकते हैं ।

प्याज गोदाम के लिए आवेदन कहाँ करें?

प्याज भंडारण के लिए गोदाम निर्माण हेतु किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। बता दें कि आवेदन प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। ऐसे में जो किसान योजना का लाभ लेना चाहते हैं उनके पास पहले से 13 अंकों का डी.बी.टी. संख्या का होना आवश्यक है। जिन किसानों के पास यह संख्या नहीं है वे किसान dbtagriculture.bihar.gov.in पर पंजीकरण कर यह संख्या प्राप्त कर सकते हैं।

पंजीयन संख्या मिलने के बाद किसान horticulture.bihar.gov.in लिंक पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। किसान योजना से जुड़ी विशेष जानकारी के लिए संबंधित ज़िला के सहायक निदेशक से संपर्क कर सकते हैं। प्याज भंडारण संरचना का अनुमोदित मॉडल एस्टीमेट एवं संरचना का नक्शा विभागीय वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है।

सब्सिडी पर प्याज गोदाम बनाने के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें

जिन किसानों ने कृषि यंत्रों पर अनुदान के लिए आवेदन किया है उनके लिये काम की खबर 

देश में अधिक से अधिक किसान आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग कर अपनी आमदनी बढ़ा सकें इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जाता है। इसके लिए अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा किसानों से आवेदन माँगे जाते हैं। इस कड़ी में बीते दिनों मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मल्टीक्रॉप थ्रेसर, रिवर्सिबल प्लाऊ एवं स्ट्रॉ रीपर कृषि यंत्रों के लिए आवेदन माँगे गये थे।

राज्य के किसानों से इन कृषि यंत्रों के लिए आवेदन जनवरी एवं फरवरी 2024 के दौरान माँगे गये थे। जिसके बाद लॉटरी के माध्यम से पात्र किसानों का चयन कर उन्हें योजना का लाभ दे दिया गया है। परंतु ऐसे भी कई किसान हैं जिन्होंने इस दौरान आवेदन तो किया था परन्तु उनका चयन नहीं हुआ है। ऐसे में आवेदन करने वाले किसानों में से जिन किसानों को अभी तक धरोहर राशि वापस नहीं मिली है विभाग द्वारा वह राशि अब उन किसानों को वापस की जा रही है।

किसानों को करना होगा यह काम

दरअसल मध्यप्रदेश कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय द्वारा 1 जनवरी 2024 एवं 21 फरवरी 2024 के दौरान मल्टीक्रॉप थ्रेसर, रिवर्सिबल प्लाऊ एवं स्ट्रॉ रीपर कृषि यंत्रों की लॉटरी निकाली गई थी। जिसके बाद जिन किसानों का चयन नहीं हुआ है उन किसानों को धरोहर राशि वापस कर दी गई है। लेकिन ऐसे किसान जिन्हें अभी तक आवेदन के दौरान की गई जमा राशि वापस नहीं मिली है वे किसान रजिस्ट्रेशन नंबर, यन्त्र का नाम, ज़िला, किसान का नाम, भुगतान का दिनांक, बैंक खाते का विवरण( जिस खाते से भुगतान किया गया हो), बैंक का नाम, खाता नंबर, IFSC कोड, बैंक स्टेटमेंट आदि जानकारी विभाग द्वारा जारी व्हाट्सऐप नंबर पर देना होगा। जिसके बाद उनके द्वारा जमा की गई धन राशि वापस किए जाने की प्रक्रिया को किया जाएगा।

बता दें कि मल्टीक्रॉप थ्रेसर, रिवर्सिबल प्लाऊ एवं स्ट्रॉ रीपर कृषि यंत्रों पर अनुदान के लिए आवेदन हेतु विभाग द्वारा अलग-अलग धरोहर राशि विभाग की ओर से माँगी गई थी ताकि इच्छुक किसान ही योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करें। किसान अधिक जानकारी के लिए विभागीय पोर्टल farmer.mpdage.org पर विज़िट करें। इसके अलावा जिन किसानों ने कृषि यंत्रों के लिए आवेदन किया था वह किसान धरोहर राशि का रिफंड कृषक प्रोफाइल में जा कर ऑनलाइन लेनदेन की स्थिति में देख सकते है।