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शुक्रवार, अप्रैल 19, 2024
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राजस्थान में किसानों के लिए सहकारिता विभाग द्वारा चलाई जा रही ऋण योजनायें

राजस्थान में किसानों के लिए सहकारिता विभाग द्वारा चलाई जा रही ऋण योजनायें

क्रमांक योजनाएं विवरण
1. ज्ञान सागर योजना

 

राजस्थान स्टेट कोऑपरेटिव बैंक की केन्द्रीय सहकारी बैंकों के माध्यम से संचालित होने वाली ज्ञान सागर योजना में दूर ढ़ाणी में बैठे काश्तकार के बेटे-बेटियों से लेकर शहरों में निवास करने वाले उच्च अध्ययन के इच्छुक युवा ऋण सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।देश व प्रदेश में उच्च एवं तकनीकी अध्ययन के लिए तीन लाख रुपये और विदेश में अध्ययन के लिए पांच लाख रुपये तक का ऋण दिया जा सकेगा। ज्ञान सागर योजना में छात्र-छात्राओं के साथ ही वेतन भोगी एवं व्यवसायी भी उच्च शिक्षा के लिए ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
ज्ञान सागर योजना में तकनीकी] व्यावसायिक] इन्जीनियरिंग आई टी आई , मेडिकल होटल मैनेजमेन्ट एम बी ए कम्प्यूटर आदि विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए ऋण प्राप्त किया जा सकता है। महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आधा प्रतिशत कम ब्याज लेने का निर्णय किया गया है। दो लाख रुपये तक के ऋण पर साढ़े ग्यारह प्रतिशत और अधिक के ऋण पर बारह प्रतिशत की दर से ब्याज लिया जायेगा। योजना का उद्धेश्य आर्थिक अभाव से शिक्षा से वंचित लोगों को शिक्षा के पूरे अवसर उपलब्ध कराना है।
2. सहकारी किसान कार्ड किसानों को आसानी से सहकारी कर्जें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से समूचे देश में सबसे पहले सहकारी क्षेत्र में राजस्थान में 29.1.1999 को सहकारी किसान कार्ड योजना लागू की गई । इसी क्रम में ग्राम सेवा सहकारी समितियों के समस्त ऋणी सदस्यों को सहकारी किसान कार्ड“सुविधा से जोडा जा चुकाहै। राज्य सरकार के इस निर्णय से अब ग्राम सेवा सहकारी समिति के सदस्य किसान सीधे बैंक से चैक प्रस्तुत कर अपनी कृषि संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु इच्छानुसार ऋण प्राप्त कर सकते हैं । इसी तरह से समिति में खाद बीज, डीजल आदि उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में क्षेत्र की क्रय विक्रय सहकारी समिति से खाद बीज आदि भी प्राप्त कर सकते हैं । राज्य सरकार की बजट घोषणा के क्रम में वर्ष 2010-11 में पांच लाख नए सदस्यों को सहकारी ऋण वितरण व्यवस्था से जोड़ा जा रहा है। इसमें नए काश्तकारों को सहकारी किसान क्रेडिट कार्ड भी उपलब्ध कराए जा रहे है
. कृषक मित्र योजना राज्य में नकदी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने और छोटे बड़े सभी काश्तकारों को सहकारी दायरे में लाने के उद्देश्य से अगस्त 1997 से कृषक मित्र सहकारी ऋण योजना शुरू की गई है । योजना को सफल बनाते हुए अब चार एकड़ से अधिक सिंचित कृषि योग्य भूमि वाले काश्तकारों को उनकी स्वीकृत साख सीमा  के अनुसार दो लाख रूपये तक के फसली कर्जें वितरित किये जा सकते हैं । हाल ही में सामान्य क्षेत्र में साढ़े तीन लाख रुपए एवं नहरी क्षेत्रों के किसानों को अधिकतम चार लाख तक के ऋण उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है इस योजना के लागू होने से छोटे बड़े सभी काश्तकार सहकारी छाते में बनाकर एक ही स्थान से ऋण जरूरतों की पूर्ति कर सकते हैं। इस योजना में एक जुलाई से 31 जून तक की अवधि के लिए साख सीमा स्वीकृत की जाती है और सहकारी किसान कार्ड से स्वीकृत साख सीमा तक ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। तीन लाख रुपए तक के ऋण सात प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है।
4. सहकार प्रभा योजना कृषि, अकृषि एवं फसली सहकारी ऋणों के लिए एक बारीय साख सीमा का निर्धारण कर ऋण स्वीकृति व वितरण में विलम्ब को समाप्त करने के उद्देश्य से सहकारी भूमि विकास बैंकों द्वारा सहकार प्रभा योजना की शुरूआत की गई है । दो एकड कृषि योग्य भूमि वाले] अवधिपार सहकारी ऋणों के दोषी नहीं होने वाले कृषक इस योजना का लाभ उठा सकते है । इस योजना में फसली कार्यों के लिए एक वर्ष के लिए व अन्य ऋण अधिकतम 15 वर्ष की अवधि के लिए दिये जा सकेंगे
5. नकद ऋण वितरण व्यवस्था दीर्घकालीन सहकारी ऋण वितरण व्यवस्था से बिचौलियों को हटाने के उद्देश्य से नकद ऋण वितरण व्यवस्था शुरू की गई है । योजना के अनुसार ट्रेक्टर व लघुपथ परिवहनों को छोड़कर शेष कृषि यंत्रों] पम्पसैट] स्प्रिन्कलर] अन्य मशीनरी उपकरणों व संयत्रों की खरीद के लिए भूमि विकास बैंकों द्वारा अब सीधे किसानों को चैक किया जाता है । किसान स्वयं अपनी पसंद के मेक व फर्म से तत्संबंधी यंत्र खरीद कर 15 दिवस में खरीद प्रस्तुत कर ऋण से खरीदी गई वस्तु का भौतिक सत्यापन कर सकता है ।इस योजना का  प्रदेश के सभी 36 प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों से ऋण प्राप्त करने वाले ग्रामीण लाभ उठा सकते हैं
6. विफल कूप क्षतिपूर्ति योजना प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों से ऋण प्राप्त कर कुंए खुदवाने पर उनके उद्देश्यों में विफल होने की स्थिति में काश्तकारों को राहत देने के उद्देश्य से विफल कूप क्षतिपूर्ति योजना चलाई जा रही है । योजना के अन्तर्गत ऋणी सदस्यों को उनकी और बकाया राशि के मूलधन की पचास प्रतिशत राशि की क्षतिपूर्ति की जाती है । शेष पचास प्रतिशत राशि की ब्याज का वहन ऋणी सदस्य को करना होता है ।

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