सोयाबीन की खेती में अधिक उत्पादन के लिए फसल में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करना उचित रहता है | सोयाबीन की फसल को कीट एवं रोगों से बचाकर रखना चाहिए | नीचे सोयाबीन की अच्छी उपज के लिए उर्वरक प्रवंधन एवं कीट रोग से बचाब के लिए सुझाव दिए गए हैं |
संतुलित उर्वरक प्रबंधन
- उवर्रक प्रबंधन के अंतर्गत रसायनिक उर्वरकों का उपयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही किया जाना सर्वथा उचित होता है ।
- रसायनिक उर्वरकों के साथ नाडेप खाद, गोबर खाद, कार्बनिक संसाधनों का अधिकतम (10-20 टन/हे.) या वर्मी कम्पोस्ट 5 टन/हे. उपयोग करें ।
- संतुलित रसायनिक उर्वरक प्रबंधन के अन्र्तगत संतुलित मात्रा 20:60 – 80:40:20 (नत्रजन: स्फुर: पोटाश: सल्फर) का उपयोग करें ।
- संस्तुत मात्रा खेत में अंतिम जुताई से पूर्व डालकर भलीभाँति मिट्टी में मिला देंवे ।
- नत्रजन की पूर्ति हेतु आवश्यकता अनुरूप 50 किलोग्राम यूरिया का उपयोग अंकुरण पश्चात 7 दिन से डोरे के साथ डाले ।
जस्ता एवं गंधक की पूर्ति:-
अनुशंसित खाद एवं उर्वरक की मात्रा के साथ जिंक सल्फेट 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मिट्टी परीक्षण के अनुसार डालें । 2. गंधक युक्त उर्वरक (सिंगल सुपर फास्फेट) का उपयोग अधिक लाभकारी होगा । सुपर फास्फेट उपयोग न कर पाने की दशा में जिप्सम का उपयोग 2.50 क्वि. प्रति हैक्टर की दर से करना लाभकारी है । इसके साथ ही अन्य गंधक युक्त उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है ।
किसान भाई आप अपने सोयाबीन के फसल के लिए उर्वरक जरुरी है ,तथा यह भी मालूम होना चाहिए की फसल में कितना उर्वरक तथा कौन – कौन सा उर्वरक डाला जाये |
सोयाबीन फसल में उर्वरकों की अनुशंसित मात्रा
पोषक तत्वका विवरण (किलोग्राम/हे.) | विकल्प 1 | विकल्प 2 | विकल्प 3 | |||
उर्वरक का नाम | मात्र (कि.ग्रा./हे. ) | उर्वरक का नाम | मात्र (कि.ग्रा./हे. ) | उर्वरक का नाम | मात्र (कि.ग्रा./हे. ) | |
नत्रजन 20 | यूरिया | 44 | डी.ए.पी. | 130 | एन.पी.के. | 200 |
फास्फोरस 60 – 80 | सुपर फास्फेट | 400 – 500 | – | – | – | – |
पोटाश 40 | म्यूरेट ऑफ़ पोटाश | 67 | म्यूरेट ऑफ़ पोटाश | 67 | – | – |
सल्फर 20 | – | – | जिप्सम | 200 | जिप्सम | 200 |
सोयाबीन फसल के लिये अनुशंसित
क्र. | खरपतवारनाशक | रसायनिक नाम | मात्रा/हे. |
1. | बोवनी के पूर्व उपयोगी (पीपीआई) | फ्लुक्लोरेलीन | 2.22 ली. |
ट्राईफलूरेलिन | 2.00 ली. | ||
2. | बोवनी के तुरन्त बाद (पीआई) | मेटालोक्लोर | 2.00 ली. |
क्लोमाझोन | 2.00 ली. | ||
पेंडीमेथिलीन | 3.25 ली. | ||
डाइक्लोसुलम | 26 ग्राम. | ||
3. | 15 – 20 दिन की फसल में उपयोगी | इमेजाथायपर | 1.00 ली. |
किवजलोफाप | 1.00 ली. | ||
फेनाकसीफाप | 0.75 ली. | ||
हेलाक्सिफाप | 135 मी.ली. | ||
4. | 10 – 15 दिन की फसल में उपयोगी | क्लोरीम्यूरण | 36 ग्राम |
सोयाबीन फसल की सुरक्षा कीटों से कैसे करें
एकीकृत कीट नियंत्रण के उपाय अपनाएं जैसे निम् तेल व लाईट ट्रेप्स का उपयोग तथा प्रभावित एवं क्षतिग्रस्त पौधों को निकालकर खेत के बाहर मिटटी में दबा दें | कीटनाशकों के छिड़काव हेतु 7 – 8 टंकी (15 लीटर प्रति टंकी) प्रति बीघा या 500 ली./हे. के मान से पानी का उपयोग करना अतिआवश्यक है |
जैविक नियंत्रण – खेत में ‘T’ आकर की खूंटी 20 – 25 /हे. लगाएं | फेरोमोन ट्रेप 10 – 12 /हे. का उपयोग करें | लाईट ट्रेप का उपयोग कीटों के प्रकोप की जानकारी के लिए लगाएं |
रासायनिक नियंत्रण
क्र. | कीट | नियंत्रण |
1. | ब्लू बीटल | क्लोरपायरीफास / क्यूनालफास 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर |
2. | गर्डल बीटल | ट्राईजोफास 0.8 ली./हे. या इथोफेनप्राक्स 1 ली./हे. या थायोक्लोप्रीड 0.75 ली./हे. |
3. | तम्बाकू की इल्ली एवं रोयेंदार इल्ली | क्लोरपायरीफास 20 इ.सी. 1.5 ली./हे. या इंडोक्साकार्ब 14.5 एस.पी. 0.5 ली./हे. या रेनेक्सीपायर 20 एस.सी. 0.10ली/हे. |
4. | सेमीलूपर इल्ली | जैविक नियंत्रण हेतु बेसिलस थुरिजिएंसिस / ब्यूवेरिया बेसियामा 1 ली. या किलो / हे. |
5. | चने की इल्ली एवं तम्बाकू की इल्ली | जैविक नियंत्रण – चने की इल्ली हेतु एच.ए.एन.पी.वी. 250 एल.ई./हे. तथा तम्बाकू की इल्ली हेतु एस.एल.एन.पी.वी. 250 एल.ई./हे. या बेसिलस थुरिजिएंसिस / ब्यूवेरिया बेसियामा 1 ली. या किलो / हे. का उपयोग करें |
रासायनिक नियंत्रण हेतु रेनेक्सीपायर 0.10ली/हे. या प्रोफेनोफास 1.25 ली./हे. या इंडोक्साकार्ब 0.5 ली./हे. या लेम्डा सायहेलोथ्रिन 0.3 ली./हे. या स्पीनोसेड 0.125 ली./हे. का उपयोग करें | |
6. | तना मक्खी या सफ़ेद मक्खी | थायोमिथाक्सम 25 डब्लू जी. 100 ग्राम./हे. |
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