सरकारी अनुदान से शिमला मिर्च की खेती कर लाखों कमायें
अक्सर किसान भाई आप जो खेती करते है , वह परम्परागत खेती होती है | जिससे आप को बाजार का सही अनुमान नहीं होता है और आप बाजार के जरुरत को पूरा नहीं कर पाते है | कभी पैदावार कम होती है तो कभी पैदावार बहुत ज्यादा होता है | इन्ही सभी बातों को ध्यान में रखते हुये किसान समाधान ने शिमला मिर्च के आधुनिक खेती के बारे में जानकारी ले कर आया है |
शिमला मिर्च की व्यवसायिक खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक है | कृषि विभाग द्वारा शिमला मिर्च की व्यवसायिक खेती को बढ़ावा देने हेतु किसानों को सहायता अनुदान देने का प्रावधान किया गया है | शिमला मिर्च की खेती कर कम लागत में अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है | शिमला मिर्च मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी है | शिमला मिर्च में विटामिन सी, पोटैशियम , कैल्शियम, लौह तथा अन्य खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते है | सामान्य शिमला मिर्च की संरक्षित खेती पालीहाउस अथवा कीट अवरोधी शेड नेट लगाकर प्रत्येक मौसम में सफल्तापुर्वाक किया जा सकता है , क्योंकि शिमला मिर्च की खेती के लिए दिन का तापक्रम 22 से 29 डिग्री सेंटीग्रेट एवं रात्रि कालीन तापमान 16 से 18 डिग्री सेंटीग्रेट उत्तम रहता है | अधिक तापमान में इसके फूल झड़ने लगते है एवं कम तापमान से पराग कणों की जन्न – क्षमता कम हो जाती है | शिमला मिर्च की खेती के लिए सामान्य वलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है, जिसमें अधिक मात्र में कार्बनिक पदार्थ मौजूद हो एवं जल निकास भी अच्छा हो |
शिमला मिर्च की खेती के लिए उचित प्रभेद का चुनाव करना आवश्यक होता है | वर्तमान में कैलीफोर्निया वंडर ,येलो वंडर, रायल वंडर , ग्रीड गोल्ड, भारत अर्का बसंत , अर्का गौरव , अर्का मोहिनी, इंद्रा, बाम्बे लारियों एवं ओरोबेली, आशा, हीरा आदि किस्में प्रचलित है | सामान्य प्रभेद के शिमला मिर्च की खेती के लिए 750 – 800 ग्राम एवं संकर प्रभेद के लिए 200 – 250 ग्राम / हैक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है |
शिमला मिर्च के पौधे को प्लास्टिक की रस्सी या जूट की सूतली से बांधकर ऊपर की ओर बढ़ने देना चाहिए , जिससे फल गिरे नहीं एवं फलों का आकर भी अच्छा हो | पौधों को सहारा देने से फल मिट्टी एवं पानी के संपर्क में नहीं आ पाते, जिससे फल सड़ने की समस्या नहीं होती है | शिमला मिर्च में फलों की तुडाई हमेशा पूरा रंग व आकर होने के बाद ही करनी चाहिए तथा तुडाई करते समय 2 – 3 से.मी. लंबा डंठल फल के साथ कटा जाना चाहिए | इसके संकर किस्मों से औसत पैदावार 700 – 800 किवंटल प्रति हैक्टेयर होती है |
इसके लिए अलग – अलग राज्य सरकार अपने प्रदेश के किसानों को सहायता अनुदान राशि दे रही है | बिहार राज्य 2,000 वर्ग मीटर में शेड नेट तैयार करने के लिए 75% का अनुदान दे रही है 2,000 वर्ग मीटर के शेड नेट तैयार करने में 25 लाख रुपये का खर्च आता है इसमे राज्य सरकार 18.75 लाख रुपया दे रहा है | इसके लिए किसान अपने जिले के सहायक निदेशक उधान के कार्यालय से सम्पर्क कर इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकता है |
अन्य राज्य के किसान राष्ट्रीय बागबानी बोर्ड के तहत इस योजना का लाभ ले सकते हैं-
संरक्षित कवर में वाणिज्यिक बागवानी का विकास की परियोजना
बोर्ड संरक्षित कवर के अंतर्गत वाणिज्यिक बागवानी विकास की परियोजनाओं को भी स्वीकार करेगा जिसमें पौध रोपण सामग्री, बागान, सिंचाई, फर्टिगेशन, मशीनीकरण आदि घटक शामिल होंगे और यह परियोजना 2500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र के लिए होगी। ग्रीन हाउसों का निर्माण, शेड नेट हाउस, प्लास्टिक मूलचिनिंग और प्लास्टिक टयूनल, एंटी बर्ड/हेल नेट आदि जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। ऐसी संरचनाओं के निर्माण की लागत को कम करने हेतु उपलब्ध स्थानीय सामग्री का उपयोग करने को वरीयता दी जाएगी।
सहायता का तरीका
क्रेडिट-लिंक्ड बैक-एन्डिड सहायिकी कुल परियोजना लागत के 50 प्रतिशत की दर से रु॰ 56.00 लाख प्रति परियोजना तक ग्रीन हाउस, शेड नेट हाउस, प्लास्टिक टयूनल, एंटी बर्ड/हेल नेट तथा पौध रोपण सामग्री की लागत आदि के लिए स्वीकार्य लागत प्रतिमानकों के अनुसार प्रदान की जाएगी।
किसान अपने जिले के सहायक निदेशक उद्यान के कार्यालय से सम्पर्क कर इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकता है |
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