back to top
28.6 C
Bhopal
शनिवार, जनवरी 25, 2025
होमविशेषज्ञ सलाहमूंगफली की अच्छी उपज के लिए किसान भाई करें यह उपाय

मूंगफली की अच्छी उपज के लिए किसान भाई करें यह उपाय

मूंगफली  में किस उर्वरक की आवश्यकता होती है और किस तरह उसका प्रयोग किया जाये?

अच्छी पैदावार लेने के लिए उर्वरकों का प्रयोग बहुत आवश्यक है। यह उचित होगा कि उर्वरकों का प्रयोग भूमि परीक्षण की संस्तुतियों के आधार पर किया जाय। यदि परीक्षण नही कराया गया है तो नत्रजन २० किग्रा, फास्फोरस ३० किग्रा, पोटाश ४५ किग्रा (तत्व के रूप में ) जिप्सम २०० किग्रा एंव बोरेक्स ४ किग्रा प्रति हे. की दर से प्रयोग किया जाये।

फास्फेट का प्रयोग सिंगिल एंव बोरेक्स ४ किलोग्राम प्रति हे. की दर से प्रयोग किया जाय।  फास्फोरस की निर्धारित मात्रा सिंगिल सुपर फास्फेट के रूप में प्रयोग किया जाय तो अच्छा रहता है। यदि फास्फोरस की निर्धारित मात्र सिंगल सुपर फास्फेट के रूप में प्रयोग की जाये तो पृथक रूप से जिप्सम के प्रयोग की आवश्यकता नही रहती है।

नत्रजन, फास्फोरस और पोटाश खादों की सम्पूर्ण मात्रा तथा जिप्सम की आधी मात्रा कूडों में नाई अथवा चोंगे द्वारा बुवाई के समय बीज से करीब २-३ सेमी. गहरा डालना चाहियें। जिप्सम की शेष आधी मात्रा तथा बोरेक्स की सम्पूर्ण मात्रा फसल की ३ सप्ताह की अवस्था पर टाप ड्रेसिंग के रूप में बिखेर कर प्रयोग करें तथा हल्की गुडाई करके ३-४ सेमी गहराई तक मिट्‌टी में भली प्रकार मिला दें।

जीवाणु खाद जो बाजरा में वृक्ष मित्र के नाम से जानी जाती है। इसकी १६ किग्रा. मात्रा प्रति हे. डालना अच्छा रहेगा क्योकि इसके प्रयोग से फलियों के उत्पादन मं वृद्घि के साथ साथ गुच्द्देदार प्रजातियों में फलियाँ एक साथ पकते देखी गई है।

खरपतवार नियंत्रण

बुवाई के १५ से २० दिन के बाद पहली निकाई गुडाई एवं बुवाई के ३० से ३५ दिन के बाद दूसरी निकाई गुडाई अवश्य करें । खूंटियां (पेगिंग) बनते समय निकाई गुडाई न की जाये।

रासायनिक खरपतवार नियंत्रण हेतु पेन्डीमेथालीन ३० ई.सी. की ३.३ ली/हे० अथवा एलाक्लोर ५० ई.सी. की ४ली/हे. अथवा आक्सीलोरफेन २३.५ ई.सी. की ४२० मिली ली. मात्रा बाद तक द्दिडकाव करना चाहियें। इस छिडकाव से मौसमी घास एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार का जमाव ही नही होता है।

यह भी पढ़ें:  गेहूं की फसल को गर्मी से बचाने के लिए किसान करें यह काम, वैज्ञानिकों ने जारी की सलाह

मूंगफली में साधारणतया कोन से रोग लगते हैं, उनकी पहचान किस प्रकार करें एवं रोग का उपचार किस प्रकार करें?

मूंगफली क्राउन राट
पहचान :

अंकुरित हो रही मूंगफली इस रोग से प्रभावित होती है। प्रभावित हिस्से पर काली फफूंदी उग जाती है जो स्पष्ट दिखाई देती है।

उपचार:

इसके लिए बीज शोधन करना चाहिये।

डाईरूट राट या चारकोल राट

पहचान :

नमी की कमी तथा तापक्रम अधिक होने पर यह बीमारी जडो मे लगती है। जडे भूरी होने लगती है। और पौधा सूख जाता है।

उपचार:

बीज शोधन करे। खेत में नमी बनाये रखे। लम्बा फसल चक्र अपनाये।

बड नेक्रोसिस

पहचान :

शीर्ष कलियां सूख जाती है। बडवार रूक जाती है। बीमार पौधों में नई पत्तियां छोटी बनती हैं और गुच्छे में निकलती है। प्रायः अंत तक पौधा हरा बना रहता है। फूल-फल नही बनते।

उपचार :
  • जून के चौथे सप्ताह से पूर्व बुवाई न की जाय। थ्रिप्स कीट जो रोग का वाहक है का नियंत्रण निम्न कीटनाशाक दवा से करें।
  • डाइमथोएट ३० ई.सी. एक लीटर प्रति हेक्टर की दर से ।

मूंगफली का टिक्का रोग (पत्रदाग)

पहचान :

पत्तियों पर हल्के भूरे रंग के गोल धब्बे बन जाते है जिनके चारों तरफ निचली सतह पर पीले घेरे होते है। उग्र प्रकोप से तने तथा पुष्प शाखाओं पर भी धब्बे बन जाते है।

उपचार:

खड़ी फसल पर जिंक मैग्नीज कार्बामेट २ किग्रा. या जिनेब ७५ प्रतिशत घुलनशील चूर्ण २.५ किग्रा. अथवा जीरम २७ प्रतिशत तरल के ३ लीटर अथवा ८० प्रतिशत के २ किग्रा के २-३ द्दिडकाव १० दिन के अन्तर पर करना चाहिये।

मूंगफली में लगने वाले कीट कोन-कोन से हैं एवं उनपर नियंत्रण किस प्रकार किया जाये ?

मुगफली की सफेद गिडार

पहचान

इसकी गिडारे पौधों की जडें खाकर पूरे पौधो को सूखा देती है। गिडार पीलापन लिए हुए सफेद रंग की होती है जिनका सिर भूरा कत्थई या लाल रंग का होता है। ये छूने पर गेन्डुल कें समान मुडकर गोल हो जाती है। इसका प्रौढ़ कीट  मूंगफली को हानि नही करता है। यह प्रथम वर्षा के बाद आसपास के पेडों पर आकर मैथुन क्रिया करते हैं। पुनः ३-४ दिन बाद खेती में जाकर अण्डे देते हैं। यदि प्रौढ़ को पेड़ो पर ही मार दिया जाय तो इनकी संख्या में काफी कमी हो जायेगी।

यह भी पढ़ें:  गेहूं को कीटों से बचाने के लिए इस तरह करें उसका भंडारण
उपचार
  • मानसून के प्रारम्भ पर २-३ दिन के अन्दर पोषक पेड़ो जैसे नीम गूलर आदि पर प्रौढ़ कीट को नष्ट करने के लिए कार्बराइल ०.२ प्रतिशत या मोनोक्रोटोफास ०.०५ प्रतिशत या फेन्थोएट ०.०३ प्रतिशत या क्लोरपाइरीफास ०.०३ प्रतिशत का छिडकाव करना चाहिये।
  • बुवाई के ३-४ घन्टे पूर्व क्लोरोपायरीफास २० ई.सी. या क्यूनालफास २५ ई.सी. २५ मिली. प्रति खडी किलोग्राम बीज की दर से बीज को उपचारित करके बुवाई करें।
  • खडी फसल में प्रकोप होने पर क्लोरोपायरीफास या क्यूनालफास रसायन की ४ लीटर मात्रा प्रति हे. की दर से प्रयोग करे।
  • एनीसोल फैरेमोन का प्रयोग किया जाय।

दीमक

पहचान :

ये सूखे की स्थिति में जडो तथा फलियों को काटती है। जड कटने से पौधे सूख जाते है। फली के अन्दर गिरी के स्थान पर मिट्‌टी भर देती है।

उपचार :

सफेद गिडार के लिए किये गये बीजोपचार से दीमक प्रकोप को भी रोका जा सकता है।

हेयरी कैटरपीलर

जब फसल लगभग ४०-४५ दिन की हो जाती है। तो पत्तियों की निचली सतह पर प्रजनन करके असंख्या संख्यायें तैयार होकर पूरे खेत में फैल जाती है। पत्तियों को छोदकर छलनी कर देते है। फलस्वरूप पत्तियां भोजन बनाने के अक्षम हो जाती है।

रोकथाम:

मिथाइल पैराथियान २ प्रतिशत २५ किग्रा/हे. की छिडकाव करे । अन्य कीटनाशक दवाये जो दी गयी है उसमें किसी का भी प्रयोग कर इसकी रोकथाम कर सकते है।

डाउनलोड किसान समाधान एंड्राइड एप्प 

download app button
whatsapp channel follow

Must Read

11 टिप्पणी

    • सर दी गई लिंक पर जानकारी दी गई है, अधिक विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने ज़िले के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से सम्पर्क करें।

  1. सफेद लट, चेपा, फंगस, रस चूसक कीड़ों, वाइरस, इल्ली, थ्रिप्स, मिली बग, सफेद मक्खी नियंत्रण के लिए पानी में घुलने वाला “नीम तेल घुलनशील” एक लीटर को 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें !!
    शुद्ध नीम खली 10%तेल वाली और घुलनशील नीम तेल प्राप्त करने के लिए सम्पर्क करें –
    अखाद्य तेल साबुन सहकारी समिति लिमिटेड, चूरू, राजस्थान
    9461109925

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
यहाँ आपका नाम लिखें

Latest News