मार्च माह में किये जाने वाले कृषि कार्य
गेहूँ
गेहूँ की फसल इस समय दाना भरने अथवा दाना सख्त होने की अवस्था में है | इस अवस्था मेंमिट्टी में नमी की कमी होने से उपज में कमी आ जाएगी, अत: किसान भाई अपनी फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें | किसान भाई यह ध्यान रखें कि गेहूँ का मामा (जो एक खरपतवार है) तथा लूज स्मट (अनावृत कंड) रोग से ग्रसित बालियाँ (जिसमें सभी बालियाँ काले चूर्ण का रूप ले लेती है एवं उसमें दाने नही बनते है) अगर दिखाई पड़े तो उन्हें पोलीथीन के थैली से ढककर तोड़ लें तथा उन्हें जलाकर किसी गढ्ढे में दबा कर नष्ट कर दें | साथ ही साथ यह ध्यान रखें कि रोगी बालियों को काटते समय उसका चूर्ण जमीन पर नहीं गिरने दे | इससे तैयार अनाज की गुणवत्ता बढ़ जाती है | यह प्रक्रिया उन किसान भाईयों के लिए अति महत्वपूर्ण है जो अगले वर्ष इस फसल को बीज के रूप में व्यवहार करना चाहते है |
जायद धान
खेत में जल जमाव बनाए रखें | रोपा के 25 से 30 दिनों बाद खरपतवार नियंत्रित कर यूरिया का बुरकाव करें | रोपा के 25 से 30 दिनों बाद कोनोवीडर मशीन को दो पंक्तियों के बीच में आगे –पीछे करते हुए चला दें, इससे खरपतवार नष्ट होकर मिट्टी में मिल जाती है | साथ ही मिट्टी के हल्का होने से वायु संचार की स्थिति में भी सुधार होता है और पौधों में कल्ले अधिकाधिक संख्या में निकलते हैं |
जायद मूंग
जिन किसान भाई के पास सिर्फ एक से दो सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो तो वे रबी फसल को काटने के बाद गरमा मूंग की खेती कर सकते हैं |
- खरपतवार नियंत्रण के लिए 1 किग्रा प्रति हैक्टेअर की दर से पेन्डामिथालिन दवा 500 लिटर पानी में घोलकर बुआई के एक दो दिन बाद छिडकाव करे।
- मूंग के लिए 20:40:20 kg/ ha की दर से NPK की मात्रा को आधार खुराक के रूप में दें।
- मूंग में आवश्यकता अनुसार सिचांई करे।
राई/सरसों
राई-सरसों की कटाई 75% फलियों के सुनहरे होने पर करनी चाहिए | इस अवस्था में दानों में तेल की मात्रा अधिक रहती है |
सब्जियॉं :
- कद्दू, चप्पन कद्दू, लौकी , करेला, तोरर्इ , खीरा, खरबूजा, तरबूज आदि बेल वाली सब्जियों की बुआई करें।
- पूसा की निम्न प्रजातियों का चयन करें।
- कद्दू: पूसा विश्वास, पूसा हाईब्रिड 1
- खीरा: पूसा उदय
- खरबूजा: पूसा मधुरस
- तरबूज: शुगर बेबी
- चप्पन कद्दू: ऑस्ट्रेलियन ग्रीन एवं पूसा अलंकार
- कद्दू वर्गीय फसलों में 100-50-50 किग्रा/ हैक्टेयर की दर से नाईट्रोजन-फॉस्फोरस-पोटेशियम की मात्रा डालें। तथा 5-6 दिन के अंतराल पर सिचांई करते रहे।
- भिण्डी में फली व तना भेदक कीट के नियंत्रण के लिए 2 मिली इमिडाक्लोप्रिड दवा को 10 लिटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
- भिण्डी रस चुसने वाले कीडों के नियंत्रण के लिए ट्राइजोफॉस और डेल्टामेथ्रिन 1 मिली दवा / लिटर पानी में घोलकर बारी बारी से 10-15 दिनों के अंतराल पर छिडकाव करें।
आलू
आलू पौधे के पत्ते पीले पड़ने लगे तथा तापमान बढ़ने पर हल से कोड़ाई कर देनी चाहिए | कोड़ाई के बाद आलू कन्दों को छप्परवाले घर में फैला कर कुछ दिन रखना चाहिए ताकि छिलके कड़े हो जाए |
आम
- इस समय मृदा में मौजूद नमी को बनाए रखने के लिए पौधे के तने के चारों तरफ सूखे खरपतवार या काली पोलीथीन की मल्चिंग बिछाना लाभदायक पाया गया है |
- गुजिया: (मिली बग) फलों की निचली सतह, टहनियों तथा फलों पर रस शोषक सफेद कीट समूह, कपासनुमा शरीर के कारण जल्दी ही दिख जाती है | उग्रता की स्थिति में टहनियां सूखने लगती है | इसके प्रबंधन के लिए क्किनॉलफास 2 मि.ली./ली. या मोनो क्रोटोफास 1.5 मि.ली./ली. का छिड़काव करना चाहिए |
08602332813