जानें क्या है फर्टिगेशन तकनीक एवं उससे होने वाले लाभ
फर्टिगेशन दो शब्दों फर्टिलाइजर अर्थात उर्वरक और इर्रिगेशन अर्थात सिंचाई से मिलकर बना है। ड्रिप सिंचाई में जल के साथ-साथ उर्वरकों को भी पौधों तक पहुंचना फर्टिगेशन कहलाता है। ड्रिप सिंचाई में जिस प्रकार ड्रिपरों के द्वारा बूंद-बूंद कर के जल दिया जाता है, उसी प्रकार उर्वरकों को सिंचाई जल में मिश्रित कर उर्वरक अंतः क्षेपक यंत्र की सहायता से ड्रिपरों द्वारा सीधे पौधों तक पंहुचाया जा सकता है। फर्टिगेशन उर्वरक देने की सर्वोत्तम तथा अत्याधुनिक विधि है।
फर्टिगेशन= सिचाई का पानी + उर्वरक
फर्टिगेशन को फसल एवं मृदा की आवश्यकताओं के अनुरूप उर्वरक व जल का समुचित स्तर बनाये रखने के लिए अच्छी तकनीक के रूप में जाना जाता है। फर्टिगेशन द्वारा उर्वरकों को कम मात्रा में जल्दी-जल्दी और कम अन्तराल पर पूर्व नियोजित सिंचाई के साथ दे सकते हैं, इससे पौधों को आवश्यकतानुसार पोषक तत्व मिल जाते हैं और मूल्यवान उर्वरकों का निच्छालन द्वारा अपव्यय भी नहीं होता है।
सामान्यतः फर्टिगेशन में तरल उर्वरकों का ही प्रयोग करते है परन्तु दानेदार और शुष्क उर्वरकों को भी फर्टिगेशन के द्वारा दिया जा सकता है। फर्टिगेशन के द्वारा शुष्क उर्वरकों को देने से पूर्व उनका जल में घोल बनाया जाता है। उर्वरकों के जल में घोलने की दर उनकी विलेयता और जल के तापमान पर निर्भर करती है। उर्वरकों के घोल को फर्टिगेशन से पहले छान लेना चाहिए।
उर्वरको की कार्य दक्षता एवं विभिन्न प्रकार से उर्वरक देने की विधि में –
पौषक तत्वों | उर्वरको की कार्य दक्षता (% प्रतिशत में) | |
उर्वरक सीधे मिट्टी में देना | उर्वरक फर्टिगेशन से देना | |
नाइट्रोजन (N) | 30-50 | 95 |
फॉस्फोरस (P) | 20 | 45 |
पोटैशियम (K) | 50 | 80 |
फर्टिगेशन में किस प्रकार के उर्वरक का प्रयोग होता है:
किसानों के लिए फर्टिगेशन के माध्यम से देने के लिए पानी में घुलनशील उर्वरक बाजार में कई कंपनीयो द्वारा उपलब्ध करवाए जा रहे है| किसान यह ध्यान रखे कई यूरिया, पोटाश पानी में अत्यधिक घुलनशील है, साथ ही घुलनशील उर्वरक भी बाजार में उपलब्ध है| किसान फॉस्फोरस पौषक तत्व के लिए उन उर्वरक को काम में ले जिनमें फॉस्फोरस का स्वरूप फास्फोरिक एसिड में हो, इसे उर्वरक तरल रूप में बाजार में उपलब्ध है|
इसके अलावा किसान मोनो अमोनियम फॉस्फेट (नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस), पॉलीफीड (N, P, K), मल्टी K (N & K) और पोटैशियम सलफेट (पोटैशियम और सल्फर) आदि उर्वरक फर्टिगेशन में उपयोग कर सकते है, यह उर्वरक पानी में अत्यधिक घुलनशील है साथ ही इन उर्वरको से किसान अपनी फसल एवं पौधों को Fe, Mn, Cu, B, Mo पौषक तत्वों की आपूर्ति कर सकते है|
नाइट्रोजन फर्टिगेशन उर्वरक-
यूरिया, अमोनियम सलफेट, अमोनियम नाइट्रेट, कैल्शियम अमोनियम सलफेट, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, कुछ प्रमुख नाइट्रोजन उर्वरक है जो किसान ड्रिप सिचाई के दौरान फर्टिगेशन के रूप में काम लिए जा सकते है|
फोस्फोरस फर्टिगेशन उर्वरक-
फास्फोरिक एसिड एंड मोनो अमोनियम फॉस्फेट
पोटैशियम फर्टिगेशन उर्वरक-
पोटैशियम नाइट्रेट, पोटैशियम क्लोराइड, पोटैशियम सलफेट और मोनो पोटैशियम फॉस्फेट|
फर्टिगेशन से लाभ
- फर्टिगेशन जल एवं पोषक तत्वों के नियमित प्रवाह को सुनिश्चित करता है जिससे पौधों की वृद्धि दर तथा गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
- फर्टिगेशन द्वारा पोषक तत्वों को फसल की मांग के अनुसार उचित समय पर दे सकते है।
- फर्टिगेशन पोषक तत्वों की उपलब्धता और पौधों की जड़ों के द्वारा उपयोग बढ़ा देता है
- फर्टिगेशन उर्वरक देने की विश्वस्तरीय और सुरक्षित विधि है। फर्टिगेशन से जल और उर्वरक पौधों के मध्य न पहुंचकर सीधे उनकी जड़ों तक पहुंचते हैं इसलिए खरपतवार कम संख्या में उगते हैं।
- फर्टिगेशन से भूमिगत जल प्रदूषण नहीं होता है।
- फर्टिगेशनसे फसलों के वृद्धि काल में उत्पादन को बिना कम किये, उर्वरक दिये जा सकते हैं। उर्वरक अन्य
- विधि की अपेक्षा फर्टिगेशन सरल सुविधाजनक है जिससे समय और श्रम की बचत होती है।
- ड्रिप द्वारा फर्टिगेशन से बंजर (रेतीली या चट्टानी मिट्टी) में जहां जल एवं तत्वों को पौधे के मूल क्षेत्र के वातावरण में नियन्त्रित करना कठिन होता वहां भी फसल ली जा सकती है।
Isabguol ki kheti ke jankari