बीज शोधन किसानों के लिए रामबाण है, इससे किसानों को आर्थिक लाभ के साथ-साथ फसल के उपज को बढ़ाया जा सकता है।किसान धान, मक्का, अरहर व मूंगफली के बीज को शोधन कर कीट व रोग से होने वाले नुकसान से निजात पा सकते हैं। ऐसा करने से फसल में अस्सी फीसदी रोग लगने की संभावना कम हो जाती है। आइये देखते हैं क्या है बीज शोधन व उसकी प्रक्रिया :-
बीज शोधन व प्रक्रिया
किसानों को बीज शोधन के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। बीज शोधन की प्रक्रिया को अपनाने में किसानों को मामूली धनराशि खर्च करनी होती है। एक अनुमान के अनुसार किसानों को एक हेक्टेयर धान की रोपाई के लिए बीज शोधन की प्रक्रिया में महज 25 रुपये खर्च करने होते हैं।
खरीफ सीजन में धान, मक्का, मूंगफली, अरहर इत्यादि फसलों के बुआई से पूर्व बीज शोधन किसानों के लिए रामबाण साबित होता है। ढाई ग्राम थीरम या दो ग्राम कार्बनडाजिम 50 प्रतिशत डब्लूपी प्रति किलोग्राम धान बीज के हिसाब से प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा अरहर और मूगफली में ढाई ग्राम थीरम या एक ग्राम कार्बनडाजिम प्रति किग्रा हेक्टेयर बीज की दर से प्रयोग करना चाहिए।
वहीं मक्का के बीज को ढाई ग्राम थीरम या दो ग्राम कार्बनडाजिम प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित करना होता है। विभाग की ओर से जैविक विधि द्वारा सभी फसलों के लिए बीज शोधन के लिए चार ग्राम ट्राइकोडरमा एक ग्राम बावस्टिन प्रति किग्रा से शोधित कर बुआई करनी चाहिए। धान में जीवाणु झुलसा के लिए किसानों को ढाई किग्रा. बीज को 4 ग्राम स्टेउप्टोसाइक्लीन के घोल में रात भर भिगों दें और उसे छाया में सुखाकर नर्सरी डालें। इससे फसल को काफी मजबूती मिलेगी।