Sunday, April 2, 2023

क्या आपने मृदा सुधार की इन योजनाओं का लाभ लिया, प्रत्येक किसान भाई इन योजनाओं का लाभ अवश्य लें 

क्या आपने मृदा सुधार की इन योजनाओं का लाभ लिया, प्रत्येक किसान भाई इन योजनाओं का लाभ अवश्य लें 

क्या करें

  • मिटटी की जाँच के आधार पर हमेशा उचित मात्र में उर्वरक का उपयोग करें |
  • मिटटी की उपजाऊ क्षमता बरकरार रखने के लिए जैविक खाद का उपयोग करें |
  • उर्वरकों का पूर्ण लाभ पाने हेतु उर्वरक को छिड़कने की बजाय जड़ों के पास डालें |
  • फास्फेटिक उर्वरकों का विवेकपूर्ण और प्रभावी प्रयोग सुनिश्चित करें ताकि जड़ों / तनों का का समुचित विकास हो तथा फसल समय पर पकें , विशेष रूप से फलीदार फसलें , जो मिटटी को उपजाऊ बनाने के लिए वायुमंडलीय नईट्रोजन का उपयोग करती है |
  • सहभागी जैविक गारन्टी व्यवस्था (पी.जी.एस. इंडिया) प्रमाणीकरण अपनाने के इच्छुक किसान अपने आस – पास के गांव में कम से कम पांच किसानों का एक समूह बनाकर इसका पंजीकरण निकटतम जैविक खेती के क्षेत्रीय केन्द्र में करायें |

मृदा स्वास्थ्य कार्ड :

मृदा स्वास्थ्य कार्ड , 19 फ़रवरी 2015 को मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अंतर्गत शुरू हुई | मृदा स्वास्थ्य कार्ड सभी जोत धारकों को हर दो वर्ष के अंतराल के बाद दिये जाएंगे ताकि वे फसल पैदावार लेने के लिए सिफारिश किए गए पोषक तत्व डालें ताकि मृदा स्वास्थ्य में सुधार हो और भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़े |

क्या पायें

मिटटी सुधार के लिए सहायता

क्र.स.सहायता का प्रकारसहायता का मापदण्ड / अधिकतम सीमास्कीम / घटक
01.सूक्ष्म तत्वों तथा भूमि सुधार तत्वों का वितरण |रु. 2500 /- प्रति हेक्टेयरमृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
02.जिप्सम / पाईराइट/ चूना / डोलोमाइट की आपूर्तिलागत का 50% + परिवहन, कुल रु.750 /- प्रति हेक्टेयर तक सीमित |तिलहन एवं आयल पाम राष्ट्रीय मिशन |

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03.पौध संरक्षण रसायनकीटनाशकों, फफुन्दिनाश्कों, जैव कीटनाशकों, जैव घटकों, सूक्ष्म पोषक तत्वों, जैव उर्वरक आदि लागत के 50% की दर से जो रु. 500 /- प्रति हेक्टेयर तक सीमित |तिलहन एवं आयल पं राष्ट्रीय मिशन
04.जैविक खेती अपनाने के लिए10,000 /- प्रति इकाईराष्ट्रीय बागवानी मिशन / पूर्वोत्तर एवं हिमालय राज्यों के लिए बागवानी मिशन समेकित बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत उप योजना
05.वर्मी कम्पोस्ट इकाईरु.50000 /- प्रति इकाई (जिसका परिमाप 30’× 8’×2.5’अथवा अनुपातिक आधार पर 600 क्यूबिक फुट)राष्ट्रीय बागवानी मिशन / पूर्वोत्तर एवं हिमालय राज्यों के लिए बागवानी मिशन | एमआईडीएच की सहायक योजना |
06.अच्छी मोटाई वाली पोलीथिनरु.8000 /- प्रति इकाई (जिसका परिमाप 12’× 4’×2’ अथवा अनुपातिक आधार पर 96 क्यूबिक फुट)राष्ट्रीय बागवानी मिशन / पूर्वोत्तर एवं हिमालय राज्यों के लिए बागवानी मिशन | एमआईडीएच की सहायक योजना |
07.समेकित पोषक तत्व प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन1200 /- प्रति हेक्टेयर (4 हेक्टेयर तक)राष्ट्रीय बागवानी मिशन / पूर्वोत्तर एवं हिमालय राज्यों के लिए बागवानी मिशन | एमआईडीएच की सहायक योजना |
08.जिप्सम फस्फोजिप्सम / बेन्टोनाइट सल्फर की आपूर्तिलागत का 50% जो रु. 750 /- प्रति हेक्टेयर तक सीमित |राष्ट्रीय खाद्ध सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) एवं बीजीआरईआई
09सुक्ष्मपोषक तत्वलागत का 50% जो रु. 500 /- प्रति हेक्टेयर तक सीमित |राष्ट्रीय खाद्ध सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) एवं बीजीआरईआई
10.चूना / चुनायुक्त सामग्रीसामग्री की लागत का 50% जो रु. 1000 /- प्रति हेक्टेयर तक सीमित |राष्ट्रीय खाद्ध सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) एवं बीजीआरईआई
11.जैव उर्वरक (राइजोबियम / पीएसबी)लागत का 50% जो रु. 300 /- प्रति हेक्टेयर तक सीमित |बीजीआरईआई राष्ट्रीय खाद्ध सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम)
12.नई मोबाइल / अचल मृदा जाँच प्रयोगशालाओं (एमएसटीएल / एसएसटीएल) की स्थापनाप्रति वर्ष 10,000 नमूनों का विशलेषण करने की क्षमता के लिए नाबार्ड के माध्यम से व्यक्तिगत एवं निजी एजेंसियों के लिए लागत का 33% या तक 25 लाख तक सीमित / प्रयोगशालासत्त कृषि राष्ट्रीय मिशन
13.सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रोत्साहन एवं वितरणलागत का 50% जो रु. 500 /- प्रति इकाई तक सीमित होगा और / अथवा प्रति लाभार्थी रु 1000 /-सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन
14.जैव उर्वरक /जैव कीटनाशी आधारित लिकिवड इकाई की स्थापना200 टन प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता की पूंजीगत निवेश के रूप में नाबार्ड के जरिए व्यक्तिगत / निजी एजेंसियां के लिए लागत का 25% जो प्रति इकाई रु.40 लाख तक सीमित |सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन
15.फल एवं सब्जियों का बाजारी कचरा / कृषि कचरे से कम्पोस्ट उत्पादन इकाई लगाने के लिए3000 टन प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता वाले व्यक्तिगत / निजी एजेंसियाँ हेतु नाबार्ड के माध्यम लागत का 33% परंतु प्रति इकाई रु.40 लाख तक सीमितसतत कृषि राष्ट्रीय मिशन
16.किसानों के खेत पर जैविक निविष्ठ (input) को प्रोत्साहन (खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जैव उर्वरक, द्रव / ठोस कचरा कम्पोस्ट, हर्बल उद्धरण इत्यादि)लागत का 50% जो रु. 5000 /- प्रति हेक्टेयरऔर रु.10,000 प्रति लाभार्थी तक सीमित होगा | 01 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र कवर करना प्रस्तावित |सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन
17.सहभागिता प्रोत्साहन पद्धति प्रमाणीकरण (पीजीएस) के अन्तर्गत समूह बनाकर जैविक खेती को अपनानारु.20000 /- प्रति हेक्टेयर जो 3 वर्ष की अवधि के लिए प्रति लाभार्थी अधिकतम रु. 40,000 /- तक सीमितसतत कृषि राष्ट्रीय मिशन
18.आन – लाइन बनता प्रबंधन और अवशेष विशलेषण के पिजिएसपद्धति को सहायतारु. 200 /- प्रति किसान जो प्रति समूह / वर्ष अधिकतम रु. 5000 /- होगा और प्रति क्षेत्रीय परिषद रु. 1 लाख तक सीमित |

अवशेष परीक्षण के लिए रु. 10,000 /- प्रति नमूना (अवशेष विशलेषण एनबीएल प्रयोगशाला में किया जाएगा) |

सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन
19.खाद प्रबंधन और जैविक नत्रजन दोहन के लिए गांव का अंगीकरणसमेकित खाद प्रबंधन का वर्गीकरण, मेड़ों पर उर्वरक पेड़ उगाने ओर समूहों / स्वसहायता समूहों इत्यादि के माध्यम से अन्तर्फसलीय रूप में फलीदार फसलों को प्रोत्साहन के लिए प्रति गांव रु. 10 लाख (प्रतिवर्ष / राज्य अधिकतम 10 गांवों को सहायता दी जाएगी )सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन
20.जैविक खेती का प्रदर्शन50 अथवा अधिक प्रतिभागियों के समूह के लिए प्रति प्रदर्शन रु. 20,000 /-सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन
21.समस्या ग्रस्त मृदा का सुधारक्षारीय / लवणीय मिटटी

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लागत का 50% जो रु. 25,000 /- प्रति हेक्टेयर तक होगा और / अथवा रु. 50,0000 /- प्रति लाभार्थी तक सीमित |

अम्लीय मृदा

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लागत का 50% परन्तु रु.3000 /- प्रति हेक्टेयर और / अथवा रु. 6000 /- रु. प्रति लाभार्थी तक सीमित |

सतत कृषि राष्ट्रीय मिशन
22.आईसीएआर प्रौधोगिकी द्वारा विकसित माईक्रो मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करनानाबार्ड के माध्यम से प्रति वर्ष 3000 नमूने प्रशिक्षण करने के लिए प्रति व्यक्ति / निजी क्षेत्र के लिए लागत का 44% या रु. 44,000 प्रति लैबसतत कृषि राष्ट्रीय मिशन
23.गांव के स्तर पर मृदा परीक्षण परियोजना की स्थापना करनालागत का 40% या रु. 4,00000 तक जो भी कम हैसतत कृषि राष्ट्रीय मिशन

 

किससे संपर्क करें

जिला कृषि अधिकारी / जिला बागवानी अधिकारी / परियोजना निदेशक (आत्मा)

यह भी पढ़ें: केंचुआ खाद से मृदा सुधार-जानें केचुओं से सम्बंधित कुछ तथ्य

यह भी पढ़ें: उर्वरकों का प्रयोग कब करें ताकि फसल को मिले अधिक लाभ

 

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