क्या आप के फसल में यह कीट है |
किसान भाई अक्सर आप कीट की सही पहचान नहीं होने के कारण आप गलत दवा का छिडकाव कर देते हैं | जिससे कीट तो नहीं मरता है लेकिन आपके पैसे की नुकसान हो जाता है तथा फसल की नुकसान जारी रहता है | इससे आप कीट की पहचान कर के ही कीटनाशक की खरीद करें | इस बात को ध्यान में रखकर किसान समाधान ने कीट तथा उसकी पहचान के साथ कीटनाशक दवा की जानकारी लागातार दे रहा है | और आप से भी अनुरोध करता है की टित की पहचान जरुर करें |
जल्ला कीट :-
यह कीट मसूर, चना, अलसी, केरवा इत्यादि में होता है | इसके प्रकोप से फसल के पत्ते आपस में जुड़ कर सुख जाते हैं इन पत्तों के अन्दर जल्ला कीट रहता है | चुकी कीट का आकर बहुत छोटा होता है , इसलिए किसान बंधू इसे देख नहीं पाते हैं | जल्ला कीट के उपचार हेतु कृषकों के द्वारा फेनभेलरेट सहित अन्य कीटनाशी के पाउडर का छिडकाव किया जा रहा है, जिससे यह नियंत्रित नहीं हो पा रहा है | किसान भाई जल्ला कीट के उपचार हेतु इमामेकटीन बेनजुएट 5 प्रतिशत एस.जी.का 100 ग्राम प्रति हे. एवं मीराकुलान 20 एम.एल.के साथ स्टीकर 10 एम.एल.प्रति टंकी छिड़काव करें | इससे इस कीट के नियंत्रण में काफी सहायता मिलेगा |
स्पोडेप्टो तथा फलीछेदक :-
इसका प्रभाव मसूर, चना तथा कपास की फसल पर देखा जा सकता है | यह कीट फली के अन्दर चले जाने पर साधारण दवा से नहीं मरता है | इस लिए दोनों कीटो को रोकने के लिए 10 फेरोमोन ट्रैप प्रति हे. की दर से खेतों में लगाएं | इससे आप की फसल की सुरक्षा किया जा सकता है |
Tarabandi karvane k liye yojna bataiye
सर मध्यप्रदेश में यहाँ योजना नहीं है |
अलसी में ईल्ली की रोक थाम के लीए जेविक दवाई बताईए