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गुरूवार, अप्रैल 18, 2024
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किसान भाई घर पर ही केंचुआ खाद बनायें औधोगिक स्तर पर, जानें किस प्रकार

किसान भाई घर पर ही केंचुआ खाद किस प्रकार बनायें  

केंचुआ खाद बनाने में कच्चे मॉल के रूप में जैविक रूप से अपघटित हो सकने वाले तथा अपघटनशील कार्बनिक कचरे का ही प्रयोग किया जाता है | केंचुआ खाद बनाने में सामन्यत: निम्न पदार्थ का प्रयोग कच्चे माल के रूप में किया जाता है |

  • पालतू जानवर का अवशेष
  • गाय का गोबर
  • भैंस का गोबर
  • भेद का मेंगनी
  • बकरी की मेंगनी
  • घोड़े की लीद

कृषि के अवशेष

  • फसलों के तने, पत्तियां तथा भूसे के अवशेष
  • खरपतवारों की पत्तियां तथा तने
  • सड़ी गली सब्जियां एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थ
  • बगीचे की पत्तियों का कूड़ा करकट
  • गन्ने की पत्तियां एवं खोयी
  • पेड़ – पौधों के अवशेष
  • लकड़ी की छल एवं छिलके
  • लकड़ी का बुरादा एवं गूदा
  • विभिन्न प्रकार की पत्तियों का कचरा
  • घासें
  • सडक तथा रिहायती इलाकों के आस – पास के पौधों की पत्तियां का कूड़ा

देहाती अवशेष

  • सूती कपड़ों का अवशिष्ट
  • कागज इत्यादि का अवशिष्ट
  • मंडियों में संडे फल तथा सब्जियों का कचरा
  • फलों, सब्जियों इत्यादि की पैकिंग का अवशिष्ट जैसे केले की पत्तियां इत्यादि
  • रसोई घर का कूड़ा जैसे फल एवं सब्जियों के छिलके इत्यादि
  • बायोगैस का अवशेष
  • बायोगैस संयत्र से निकलने वाली स्लरी को सुखाकर प्रयोग किया जाता है |
  • औधोगिक अवशेष
  • खाद्ध प्रसंस्करण ईकाईओं का अवशिष्ट
  • आसवन ईकाई का अवशिष्ट
  • प्राकृतिक खाद्ध पदार्थों का अवशिष्ट
  • गन्ने का बगास तथा परिष्करण अवशिष्ट

मशीनरी

  • कार्बनिक अवशिष्ट को छोटे – छोटे टुकड़ों में काटने हेतु यांत्रिक मशीन / कटर |
  • कार्बनिक अवशिष्ट मिश्रण बनाने हेतु मिश्रण मशीन |
  • खुर्पी, फावड़ा, कांटा, इत्यादि |
  • यांत्रिक छलनी |
  • तौलने की मशीन |
  • पानी छिडकाव हेतु हजारा |

औधोगिक स्तर पर केंचुआ खाद बनाने की इकाई स्थापित करने के लिए निम्नलिखित की आवश्यकता होती है |

  • खाद बनाने के लिए जगह
  • औसतन 150 टन प्रति वर्ष क्षमता की केंचुआ खाद इकाई का स्थापना हेतु लगभग 5000 वर्ग फीट जगह की आवश्यकता होती है|

जैविक अवशेष

आर्थिक रूप से सक्षम एक केंचुआ खाद इकाई हेतु लगभग 4 टन / दिन या 30 टन प्रति सप्ताह की दर से कार्बनिक अवशिष्ट की आवश्यकता होती है |

इंफ्रास्ट्रक्चर

  • 12 फीट 10 फीट 40 फीट (4800sq.ft) आकर के छप्पर लगभग 150 – 175 टन प्रतिवर्ष केंचुआ खाद बनाने हेतु पर्याप्त होते हैं |
  • केंचुआ खाद बनाने की बेड में पानी के छिडकाव हेतु फव्वारे का प्रबंध |
  • छप्पर के अंदर हवा के उचित प्रवाह का प्रबन्ध होना चाहिए |
  • केंचुआ खाद को सुखाने हेतु 12 फीट 6 फीट 1 फीट आकार का सीमेंट का पक्का फर्श |
  • प्रसंस्करण केंचुआ खाद हेतु भंडारण की व्यवस्था |
  • पानी की व्यवस्था |

वर्मी कम्पोस्ट बनाने के विधि

सामन्य विधि

वर्मीकम्पोष्ट बनाने के लिए इस विधि में  क्षेत्र का आकार आवश्यकतानुसार रखा जाता है किन्तु मध्यम वर्ग के किसानों के लिए 100 वर्गमीटर क्षेत्र पर्याप्त रहता है | अच्छी गुणवत्ता की केंचुआ खाद बनाने के लिए सीमेंट तथा ईटों से पक्की क्यारियां बनाई  है | प्रतेक क्यारी की लम्बाई 3 मीटर, चौडाई 1 मीटर एवं ऊँचाई 30 से 50 से.मी. रखते हैं | 100 वर्गमीटर क्षेत्र में इस प्रकार की लगभग 90 क्यारियां बनाई जा सकती है | क्यारियों को तेज धुप व वर्षा से बचाने और केंचुओं के तीव्र प्रजनन के लिए अँधेरा रखने हेतु छप्पर और चारों ओर टटिटयों से हरे नेट से ढककना अत्यंत आवश्यक हैं |

क्यारियों को भरने के लिए पेड़ पौधों की पत्तियां, घास, सब्जी व फलों के छिलके, गोबर आदि अपघटनशील कार्बनिक पदार्थों का चुनाव करते हैं | इन पदार्थों को क्यारियों में भरने से पहले ढेर बनाकर 15 से 20 दिन तक सड़ने के लिए रखा जाना आवश्यक हैं | सड़ने के लिए रखे गए कार्बनिक पदार्थों के मिश्रण में पानी छिडक कर ढेर को छोड़ दिया जाता है | 15 से 20 दिन बाद कचरा अधगले रूप में आ जाता है | एसा कचरा केंचुओं के लिए बहुत ही अच्छा भोजन मन गया है | अधगले कचरे को क्यारियों में 50 से.मी. ऊँचाई तक भर दिया जाता है | कचरा भरने के 3 – 4 दिन बाद प्रत्येक क्यारी में केंचुए छोड़ दिए जाते हैं और पानी छिडक कर प्रतेक क्यारी को गीली बोरियों से ढक देते है | एक टन कचरे से 0.6 से 0.7 टन केंचुआ खाद प्राप्त हो जाती है |

केंचुआ खाद बनाने हेतु चरणबद्ध निम्न प्रक्रिया अपनाने हैं |

  • कार्बनिक अवशिष्ट / कचरे में से पत्थर, कांच, प्लास्टिक, सिरेमिक तथा धातुओं को करके कार्बनिक कचरे के बड़े ढेलों को तोड़कर ढेर बनाया जाता है |
  • मोटे कार्बनिक अवशिष्टों जैसे पत्तियों का कूड़ा, पौधों के तने, गन्ने की भूसी / खोयी को 2 – 4 इंच आकर के छोटे – छोटे टुकड़ों में कटा जाता है इससे खाद बनने में कम समय लगता है |
  • कचरे से दुर्गन्ध हटाने तथा अवांछित जीवो को खत्म करने के लिए कचरे को एक फुट मोटी सतह के रूप में फैलाकर धूप सुखाया जाता है |
  • अवशिष्ट को गाय के गोबर में मिलाकर एक माह तक सड़ने हेतु गद्दे में डाल दिया जाता है | उचित नमी बनाने हेतु रोज पानी का छिडकाव किया जाता है |
  • केंचुआ खाद बनाने के लिए सर्वप्रथम फर्श पर बालू की 1 इंच मोटी पर्त बिछाकर उसके ऊपर 3 – 4 इन्च मोटाई में फसल का अपशिष्ट / मोटे पदार्थों की पर्त बिछाते हैं | पुन: इसके ऊपर चरण – 4 से प्राप्त पदार्थों की 18 इन्च मोटी पर्त् इस प्रकार बिछते हैं कि इसकी चौडाई 40 – 50 इन्च बन जाती है | बेड की लम्बाई को छप्पर में उपलब्ध जगह के आधार पर रखते हैं | इस प्रकार 10 फिट लम्बाई की बेड में लगभग 500 कि.ग्रा. कार्बनिक अप्षिट समाहित हो जाता है | बेड को अर्धवृत्ताकार का रखते हैं जिससे केंचुए को घुमने के लिए पर्याप्त स्थान तथा बेड में हवा का प्रबंध संभव हो सके | इस प्रकार बेड बनाने के बाद उचित नमी बनाये रखने के लिए पानी का छिड़काव करते हैं तत्पश्चात इसे 2 – 3 दिनों के लिए छोड़ देते हैं |
  • जब बेड के सभी भागों में तापमान सामान्य हो जाये तब इसमें लगभग 5000 केंचुए / 500 कि.ग्रा. अवशिष्ट की दर से केंचुआ तथा कोफुं का मिश्रण बेड की एक तरफ से इस प्रकार डालते हैं की यह लम्बाई में एक तरफ से पूरे बेड तक पहुँच जाये |
  • सम्पूर्ण बेड को बारीक़ / कटे हुए अवशिष्ट की 3 – 4 इंच मोटी पर्त से ढकते हैं, अनुकूल परिस्थितियों में केंचुए पुरे बेड पर अपने आप फैल जाते हैं | ज्यादातर केंचुए बेड में 2 – 3 इंच गहराई पर रहकर कार्बनिक पदार्थों का भक्षण कर उत्सर्जन करते रहते हैं |
  • अनुकूल आद्रता, तापक्रम तथा ह्वामय परिस्थितियों में 25 – 30 दिनों के उपरांत बैड की ऊपरी साथ पर 3 – 4 इंच मोटी केंचुआ खाद एकत्र हो जाती हैं | इसे अलग करने के लिए बेड की बहरी आवरण सतह से हटाते हैं | एसा करने पर जब केंचुएँ बेड में गहराई में चले जाते हैं तब केंचुआ खाद को बेड से आसानी से अलग कर तत्पशचात बेड को पुन: पूर्व की भांति महीन कचरे से ढक कर पर्याप्त आद्रता बनाये रखने हेतु पानी का छिड़काव कर देते हैं |
  • लगभग 5 – 7 दिनों में केंचुआ खाद की 4 – 6 इंच मोटी एक और पर्त तैयार हो जाती है | इसे भी पूर्व में चरण – 8 की भांति अलग कर लेते हैं तथा बेड में फिर पर्याप्त आद्रता बनाये रखने हेतु पानी का छिड़काव किया जाता है |
  • तदोपरांत हर 5 -7 दिनों के अंतराल में, अनुकूल परिस्थितियों में पुन: केंचुआ खाद की 4 – 6 इंच मोटी पर्त बनती हैं जिसे पूर्व में चरण – 9 की भांति अलग कर लिया जाता है इस प्रकार 40 – 45 दिनों में लगभग 80 – 85 प्रतिशत केंचुआ खाद एकत्र कर लिजती है |
  • अन्त में कुछ केंचुआ खाद, केंचुओं तथा केचुए के अण्डों (कोफुन) सहित एक छोटे से ढेर के रूप में बच जाती है | इसे दूसरे चक्र में केंचुए के संरोप के रूप में प्रयुक्त कर लेते हैं | इस प्रकार लगातार केंचुआ खाद उत्पादन के लिए इस प्रकृत्या को दोहराते रहते हैं |
  • एकत्र की गयी केंचुआ खाद से केंचुए के अण्डों, अवस्क केंचुआ तथा केचुए द्वारा नहीं खाये गये पदार्थों को 3 – 4 मैस आकर की छलनी से छान कर अलग कर लेते हैं |
  • अतिरिक्त नमी हटाने के लिए छनी हुई केंचुआ खाद का पक्का फर्श पर फैला देते हैं | तथा नमी लगभग 30 – 40 % तक रह जाती है तो इसे एकत्र कर लेते हैं |
  • केंचुआ खाद को प्लास्टिक / एच.डी.पी.ई. थैलों में सील करके पैक किया जाता है ताकि इसमें नमी कम न हो |

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