कम पानी में अलसी की खेती करें और अधिक पैदावार पायें |
अलसी एक तेल्हानी फसल है यह रबी तथा तेलहन की मुख्य फसल है | इसका उत्पादन सरसों से अधिक होती है | तथा अलसी में कीटों की प्रकोप कम होती है | यह फसल कम पानी में भी आसानी से हो जाता है |
भूमि :-
इस फसल के लिए चिकनी मिटटी जिसमें पानी का निकास अच्छी होता हो,सही मानी गई है |
भूमि की तैयारी :-
भूमि को तैयार करने के लिए खेत में देसी हल से 2 – 3 बार जुताई करनी चाहिए ताकि खेत से खरपतवार निकल जाए |
बुआई का समय :-
बुआई के लिए अक्टूबर का पहला पखवाडा उपयुक्त है |
बुआई का ढंग :-
बीज को 23 से.मी. की पंक्तियों में 4 – 5 से.मी. गहरा से लगाना चाहिए |
बीज की मात्रा :-
बुआई के लिए 40 कि.ग्रा. बीज /हे. पर्याप्त है |
जल प्रबंधन :-
फसल में फूल आने पर एक सिंचाई तथा फलियों बनने के समय दूसरी सिंचाई करनी चाहिए |
खरपतवार नियंत्रण :-
बुआई के 30 व 60 दिनों के बीच खरपतवार अवश्य निकालें |
पौध संरक्षण – कीट
फली मक्खी
लक्षण – इसकी इल्ली अंडाशय को खाती है | जिससे कैप्स्यूल एवं बीज नहीं बनते हैं |
नियंत्रण :-
कृषिगत नियंत्रण प्रतिरोधी / सहनशील किस्में बोयें |
यांत्रिक नियंत्रण गिरी हुई कलियाँ एकत्र कर जला देवें |
बीमारियाँ
- रतुआ :-
गुलाबी रंग के धब्बे , पत्तों , तनों व फलियों की सतह पर प्रकट होते हैं जो बाद में काले फफूंद में परिवर्तित हो जाते है |
रोकथाम :-
- अनुमोदित किस्में लगाएं |
- फलीदार फसल को इस फसल के बीच लगाएं |
- लक्षण प्रकट होते ही 15 – 20 दिन पुरानी लस्सी (छाछ) व वार्मिवाश के 5 ली. मिश्रण (1.1) को 100 ली. पानी में डालकर छिडकाव दस दिन के अंतराल पर करें |
- चौलाई (अमारैथस) या पुदीना (मेंथा) के पत्तों का चूर्ण 25 से 30 ग्राम प्रति लीटर पानी में डालकर छिडकाव करें |
सुखा रोग :-
इसके आक्रमण से छोटे – छोटे पौधे मार जाते हैं |बड़े पौधे पीले पड़कर मुरझा जाते हैं |
रोकथाम :-
प्रतिरोधी किस्में लगाएं |
चूर्णअसिता रोग :-
रोग से प्रभावित पौधों पर फफूंद की सफ़ेद से मटमैली रुई की हल्की तह नजर आती है |
रोकथाम :-
दूध में हिंग मिलाकर (5 ग्राम / लीटर पानी) का छिडकाव करें |
इस बीमारी के नियंत्रण के लिए 2 कि.ग्राम लकड़ी की राख का मिश्रण बनाकर पत्तों के ऊपर डालें |
अदरक के चूर्ण को 20 ग्राम प्रति लीटर पानी में डालकर घोल बनाएं तथा 15 दिन के अंतराल पर तिन बार छिड़कने से चूर्णअसिता तथा अन्य फफूंद वाली बिमारियों का प्रकोप कम होता है |