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इस किसान ने प्लास्टिक मल्चिंग विधि अपनाकर खेती को बनाया लाभ का धंधा

इस किसान ने प्लास्टिक मल्चिंग विधि अपनाकर खेती को बनाया लाभ का धंधा

वैज्ञानिक तकनीक से टमाटर और मिर्च का रिकॉर्ड उत्पादन कर देवास जिले के किसान अयूब खां ने उन्नत खेती की मिसाल कायम की है। कन्नौद विकासखंड की ग्राम पंचायत डाबरी बुजुर्ग के किसान अयूब खां पिता रसूल खां ने म.प्र. शासन के ध्येय वाक्य ‘खेती को बनाए लाभ का धंधा’ को यथार्थ के रूप में स्थापित किया है। उद्यानिकी विभाग से तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्राप्त कर इन्होंने पारम्परिक खेती के साथ ही वैज्ञानिक खेती को भी आजमाया और कम समय में ही टमाटर और मिर्च से ही अच्छा खासा लाभ अर्जित किया है।

वर्ष 2012-13 तक अयूब खां पारंपरिक खेती ही करते थे। रबी और खरीफ की फसलों पर ही निर्भर रहते थे। इन्हें इन फसलों से औसतन 1.75 लाख रुपए वार्षिक आय ही होती थी। जब उन्हें उद्यानिकी विभाग की सब्जी क्षेत्र विस्तार योजना का पता लगा तो इन्होंने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर सब्जी क्षेत्र में वैज्ञानिक तकनीकों को जाना एवं समझा। साथ ही प्रशिक्षण प्राप्त कर वर्ष 2014-15 में इन्होंने प्लास्टिक मल्चिंग से एक हैक्टेयर में टमाटर और एक हैक्टेयर में मिर्च की खेती की। इसके लिए इन्हें 57 हजार रुपए अनुदान भी मिला।

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अयूब खां के पास नलकूप और कुएं की सुविधा पहले से थी। मल्चिंग अपनाने से कम पानी और कम दवा का उपयोग हुआ। इससे खेती की लागत में कमी आई और मेहनत तथा पानी दोनों की बचत भी हुई।

वर्ष 2015-16 के मध्य तक अयूब खां ने लगभग 22 टन टमाटर और 29 टन मिर्च का रिकॉर्ड उत्पादन प्राप्त किया। इन्हे टमाटर को 7 रुपए प्रति किलो की दर से बेचने से 1 लाख 54 हजार रुपए की कमाई हुई। लागत व्यय 54 हजार रुपए घटाकर इन्हें एक लाख रुपए का शुद्ध लाभ हुआ। इसी प्रकार, मिर्च में इन्होंने 18 रुपए प्रति किलो की औसत से बिक्री कर 5 लाख 22 हजार रुपए की कमाई की। इसमें से 1,25,000 रुपए का लागत व्यय घटाकर 3,97,000 रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया।

इस तरह अयूब खां ने 4,97,000 रुपए का शुद्ध वार्षिक लाभ प्राप्त किया। इस बड़ी रकम से अयूब खां का जीवन खुशहाल हो गया है। इस रकम से अयूब खां ने अपने कच्चे मकान को पक्का बनवा लिया है। अपने लिये और बच्चों के लिए दो मोटर साइकिल भी खरीद ली है। गांव के आवागमन के साधनों में अब इनकी टाटा मैजिक भी शामिल हो गई है। इस मैजिक के आने से न केवल ग्रामीणों को आने-जाने की अतिरिक्त सुविधा मिली है बल्कि जरुरत अनुसार अयूब खां इसी मैजिक से अपनी सब्जियां भी मंडी तक आसानी से पहुंचाते हैं। इसी बीच इन्होंने अपनी बेटी की शादी भी धूमधाम से संपन्न कराई है। आज अयूब खां पूरे डाबरी बुजुर्ग में प्रेरणा की मिसाल बन गये हैं। ग्रामवासियों से अब अयूब खां कहते है ‘आगे आएँ, लाभ उठाएँ’।

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स्त्रोत: जनसंपर्क विभाग, मध्यप्रदेश

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